क्लीन सिटी को गंदा कर रहा नाले का पानी, दावा बेमानी

जागरण संवाददाता, सुपौल। बढ़ती आबादी, बेतरतीब तरीके से नए बसावट, विगत दो-तीन वर्षों के हालात देखने के बाद जहां आम लोग आशंकित हैं कि इस वर्ष आसान नहीं होगी शहर से जल निकासी, वहीं नगर परिषद पूरी तैयारी के साथ अपने को तत्पर बता रहा है। अधिकारी कहते हैं कि संसाधनों की कोई कमी नहीं है। हालांकि नालों की उड़ाही का कार्य इसने बरसात शुरू होने से पहले ही कराना शुरू कर दिया था। नगर परिषद सुपौल का साफ-सफाई को लेकर एक एजेंसी से कंट्रैक्ट है और नाले की साफ-सफाई भी उसी के जिम्मे है। संसाधनों के मामले में नगर परिषद पूर्व से ही संपन्न स्थिति में है, लेकिन कचरा डंपिग के मामले में इसकी स्थिति बेहतर नहीं कही जा सकती। कचरा डंपिग के लिए इसके पास पांच एकड़ जमीन तो है लेकिन वह भी अब बीच आबादी के बीच पड़ जा रही है जहां डंपिग समस्या बन रही है। कहीं एनओसी का भी झमेला है। नतीजा है कि कचरे का निस्तारण शहर के बाहरी छोड़ पर कर दिया जाता है जो स्वच्छ शहर की सूरत बिगाड़ देने के लिए काफी है।

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बारिश के मौसम में नारकीय बन जा रहा सुंदर शहर
विगत दो-तीन वर्षों की स्थिति को पलटकर देखते हैं तो बारिश के मौसम में शहर की स्थिति नारकीय बन जाती है। अधिकांश सरकारी कार्यालय, बीएसएस कॉलेज, डिग्री कॉलेज, पावर ग्रिड, सुपौल उच्च माध्यमिक विद्यालय सुपौल का परिसर व मैदान, एसपी आवास,गांधी मैदान के साथ-साथ शहर के कई वार्ड व निचले हिस्से जलजमाव की चपेट में आने लगे हैं। और तो और समाहरणालय परिसर तक में जलजमाव हो जाया करता है। पुराना पुलिस लाइन, पावर ग्रिड, पीईबी गोदाम का परिसर के साथ-साथ सुधा डेयरी के इर्द-गिर्द बाढ़ सा नजारा दिखने लगता है। पुराने पुलिस लाइन जाने वाली सड़क पर लबालब पानी भर जाता है। ऐसे में असरदार साबित नहीं हो पा रही है नगर परिषद द्वारा निर्मित संरचनाएं। 22 करोड़ 08 लाख की लागत बनना है ड्रेनेज सिस्टम शहर को जलजमाव के फजीहत से बचाने के उद्देश्य से बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम (बुडको) के द्वारा स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज परियोजना के निर्माण की योजना बनी। 06 मई 2018 को 22 करोड़ 08 लाख की लागत की इस परियोजना की आधारशिला रखी गई थी। परियोजना को पूरा करने का समय 18 माह निर्धारित किया गया था। चार वर्ष बीत जाने के बाद भी इसे पूरा नहीं किया जा सका है। दावा किया जा रहा है कि स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद शहर में जलजमाव की समस्या नहीं रहेगी और लोगों को बरसात के दिनों में जलजमाव से फजीहत नहीं झेलनी होगी। कितु विडंबना है कि चार वर्ष बीतने के बाद भी इसे पूरा नहीं किया जा सका है।
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अ‌र्द्धनिर्मित व बेढ़ब नालों से सड़कों पर फैल रहा पानी
ऐसा नहीं कि जल निकासी की दिशा में नप गंभीर नहीं हुआ। शायद ही कोई वर्ष गुजरा हो जब कई मुहल्लों में नाला निर्माण होता नहीं दिखाई दिया हो। भले ही इस नाला निर्माण का मकसद जल निकासी की चिता को लेकर कम वार्ड के विकास की सोच को लेकर अधिक किया गया। नतीजा हुआ कि निर्मित नाले का दूसरे किसी नाले से कोई लिक ही नहीं हुआ। कई तो ऐसे मामले सामने आए कि नप ने निर्माण कंपनी को अब तक पूरा भुगतान नहीं दिया तो निर्माण अधूरा रह गया और नाले का पानी सड़कों पर बहने लगा। कहीं पानी का बगैर कोई लेवल लिए ही नाले का निर्माण करा दिया गया। कहीं नाला उंचा बना दिया गया और उसमें पानी गिरने को कोई विकल्प कहीं छोड़ा ही नहीं गया।
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कोट-
नाले की उड़ाही का कार्य चल रहा है। बरसात में जल निकासी को लेकर नगर परिषद अपनी तैयारी के साथ पूरी तरह तत्पर है। संसाधनों की कोई कमी नहीं है। हमारी भरपूर कोशिश होगी कि नगरवासियों को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। - कृष्ण स्वरूप,
कार्यपालक पदाधिकारी,
नगर परिषद, सुपौल

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