लाख प्रयत्न के बाद भी नहीं सुधरी जिले की रैंकिग

संवाद सहयोगी, जमुई : मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा जिले में कई योजनाओं को लागू करने के बाद भी मत्स्य पालन के क्षेत्र में पूरे राज्य में जिले की रैंकिग में कोई सुधार नहीं हुआ है। स्थानीय स्तर पर काफी कवायद करने के पश्चात जिले का रैंकिग वर्तमान समय में पूरे राज्य के 38 जिलों में से 35 वें पायदान पर ही पहुंच पाया है। हालांकि वर्तमान समय में जिले में कुल 159 सरकारी तालाब और एक सौ निजी तालाब के माध्यम से मत्स्य पालन का कार्य भी हो रहा है। जिनके राजस्व के तौर पर विभाग को प्रत्येक वर्ष छह लाख 45 हजार प्राप्त भी होता है। सरकार द्वारा मत्स्य पालन को व्यापक रूप देने के लिए रियरिग, नया नर्सरी और नया तालाब बनवाने के लिए छह लाख रुपया का प्राविधान किया गया है। इस योजना में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 90 फीसद तथा सामान्य जाति के लोगों के लिए 40 फीसद का अनुदान देने का प्राविधान किया गया है। वहीं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में रियरिग, नया नर्सरी और तालाब बनाने के लिए सात लाख रुपया का प्राविधान किया गया है। इस योजना में अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला के लिए 60 फीसद सामान्य कोटि तथा पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 40 फीसद अनुदान देने की व्यवस्था है। इसके अलावा उन्नत मत्स्य बीज योजना के तहत सामान्य कोटि के लोगों के लिए 50 फीसद, ट्यूबवेल पंप सेट योजना के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 90 फीसद तथा सामान्य कोटि के लोगों के लिए 50 फीसद अनुदान का प्राविधान किया गया है। इसके अलावा उन्नत इनपुट योजना के तहत अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए 90 फीसद तथा सामान्य कोटि के लोगों के लिए 50 फीसद तथा चार पहिया वाहन, तीन पहिया वाहन खरीद के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों को कुल लागत का 90 फीसद अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।


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