पांच साल में एक भी बड़ी योजना को धरातल पर नहीं ला सकी नगर सरकार

फोटो 11 जमुई-3

-विवादों में बीता कार्यकाल
-बदले गए पांच कार्य पालक पदाधिकारी
-स्वस्थ्य शहर का सपना नहीं हो सका पूरा
-स्वीकृति के बावजूद नहीं बन सका सम्राट अशोक भवन
-जलजमाव से मुक्त शहर का ड्रीम प्रोजेक्ट घूमती रही गई फाइलों में
-नगर परिषद के 30 वार्ड पार्षदों का कार्यकाल हुआ समाप्त
संवाद सहयोगी, जमुई : नगर परिषद के 30 वार्ड पार्षदों का कार्यकाल नौ जून को समाप्त हो गया। विश्लेषण के चश्मे में इनके पांच साल के कार्यकाल की तस्वीर धुंधली नजर आती है। निवर्तमान नगर सरकार एक भी बड़ी योजनाओं को शहर में जमीन पर नहीं उतार सकी है।
एक दशक से जाम, जलजमाव से निजात पाने और नागरिक सुविधाओं की आस जोहते शहरवासी को वर्ष 2017-2022 के बोर्ड से निराशा ही हाथ लगा। शहर का एकमात्र चिल्ड्रेन पार्क भी नप सरकार संभाल कर नहीं रख सकी। डीडीसी आवास स्थित पार्क नप के हाथों से छिन कर वन विभाग के पास चला गया। जमीन की अनुपलब्धता के कारण एक करोड़ से अधिक की राशि से स्वीकृत अशोक सम्राट भवन भी सरजमीन पर उतारने में नगर सरकार विफल रही। जलजमाव से मुक्ति दिलाने के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट डीपीआर तक सिमट गया। हालांकि स्वच्छता व्यवस्था में पहले की अपेक्षा बेहतर हुआ, लेकिन खर्च के मुताबिक शहर को साफ रखने में पिछड़ गई।
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पांच साल में पांच अधिकारियों का तबादला
वर्ष 2017 में गठित नगर परिषद के बोर्ड की चर्चा करें तो यह कार्यकाल विकास से ज्यादा विवादों से भरा रहा। अध्यक्ष पति और नप अधिकारी में सामंजस्य नहीं बैठ पाने के कारण मनमुटाव और तबादले पर तबादले होते रहे। श्रेयस चौहान, अरविद पासवान, रामनिरंजन चौधरी, जनार्दन प्रसाद वर्मा, अजीत कुमार के बाद छठे नप पदाधिकारी के रूप में मृत्युंजय कुमार सिंह वर्तमान में पदस्थापित हैं।
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विवादों भरा रहा कार्यकाल
वर्ष 2017 में निर्वाचित पार्षदों से शहर वासियों को काफी उम्मीद थी। शुरुआती कुछ समय तो अच्छा बीता लेकिन जैसे ही स्वार्थ की मनोवृत्ति हावी हुआ और पूरा कार्यकाल विवादों में उलझ गया। इसमें कार्यपालक पदाधिकारी के आवास पर धमकी सहित नप सफाई कर्मी एवं कर्मचारियों से मारपीट की घटना शामिल है। हालात यह हुए कि इन्हीं सब मामलों में अध्यक्ष पति संतोष साह को एक मामले में जेल तो दूसरे में निवर्तमान जिलाधिकारी से डांट खानी पड़ी थी। इन्हीं सब कारणों से नगर सरकार में विवाद गहराता गया और शहरी क्षेत्र का विकास बाधित हुआ और देखते ही देखते पांच साल गुजर गया।
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पांच साल में करीब 200 करोड़ हुए खर्च
बीते कार्यकाल में नगर सरकार द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में लगभग एक अरब के करीब शहर का बजट पास किया गया। जिसमें पांच साल के कार्यकाल में अब तक अनुमानित लगभग 200 करोड़ के करीब राशि खर्च की गई। इसमें नाली गली की 232 योजना, नल जल की 60, स्टैंड पोस्ट की 53, डस्टबिन, ई रिक्शा, सहित दर्जन भर की खरीदारी सहित आवास योजना एवं कोरोना काल में हुए खर्च शामिल हैं।
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नप के 30 पार्षदों का कार्यकाल खत्म, योजनाओं की नहीं कर सकेंगे अनुशंसा
संवाद सहयोगी, जमुई : नौ जून को पांच साल पूरे होने के साथ ही नगर परिषद के 30 पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हो गया। अब इन निवर्तमान वार्ड पार्षद अपने वार्ड में नये योजना की अनुशंसा नहीं कर सकेंगे। पार्षद होने के नाते अब ये लोग अपनी मोहर नहीं लगा सकेंगे। हालांकि अभी गाइड लाइन जारी नहीं हुई है। इसका ये लोग इंतजार करते दिख रहे हैं।
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पुरुष से अधिक थी महिला पार्षद
30 प्रभाग वाले जमुई नगर परिषद में पुरुषों की अपेक्षा महिला पार्षद की संख्या ज्यादा थी। जहां 2017 में 11 पुरुष पार्षद बोर्ड में आए वहीं आठ अंकों की बढ़त के साथ 19 महिला पार्षद ने जीत दर्ज की थी। अब देखना यह है कि इस बार कितने पुराने चेहरे पुन: वापस लौटते हैं और कितने नए। इसके लिए अभी थोड़ा और वक्त का इंतजार करना पडेगा। चुनाव आयोग द्वारा अभी चुनाव की घोषणा भी तय नहीं की गई है।
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पार्षदों को जमा करना होगा लैपटाप
नगर विकास एवं आवास विभाग के निर्देशानुसार शहर के सभी पार्षदों को लैपटाप दिया गया था। जो अब कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें नगर परिषद में जमा करनी पड़ेगी। हालांकि अभी तक कार्यालय द्वारा इस संबंध में कोई सूचना जारी की गई है और ना ही किन्हीं ने लैपटाप जमा कराया है।

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