एसपी और बालेश्वर की पत्नी की गुफ्तगू ने दिखाया रंग

-तीन महीने पूर्व सिविक एक्शन प्रोग्राम में बालेश्वर कोड़ा की पत्नी को मिला था सम्मान

- प्रोग्राम में जुटे थे वरीय अधिकारी
- बालेश्वर की पत्नी व ग्रामीणों से आत्मसमर्पण के लिए कर रहे थे प्रोत्साहित
फोटो 13 जमुई-3
संवाद सहयोगी, जमुई : जमुई जिले के इतिहास में नक्सलवाद अध्याय में 13 जून विशेष तौर पर अंकित हो गया है। इस सफलता की पटकथा तीन महीने पूर्व लिख गई थी। पांच मार्च को बरहट थाना क्षेत्र के चोरमारा में सिविक एक्शन प्रोग्राम, वरीय अधिकारियों का जुटान और सामग्री वितरण ने लोगों को पुलिस के नजदीक ला दिया। व्यवस्था पर विश्वास की लौ जली और अविश्वास की कालिमा दूर हो गई। शिविर के दौरान नक्सली बालेश्वर की पत्नी के साथ पुलिस कप्तान डा. शौर्य सुमन की गुफ्तगू ने कई संदेश छोड़ दिए थे। शायद इसी बातचीत का असर तीन महीने के बाद दिखा जब आतंक का पर्याय बालेश्वर अपने दो साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जताई। हालांकि इस सफलता के पीछे कई पदाधिकारी का किरदार अहम रहा है। सीआरपीएफ 215 बटालियन के द्वितीय कमान अधिकारी मनोज कुमार सिंह लगातार चोरमारा के जंगल में सक्रिय रहे। बालेश्वर की पत्नी और ग्रामीणों के सहारे बालेश्वर व उसके साथियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित करते रहे। मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करते रहे। इस दौरान उसे पकड़ने को लेकर भी जाल बिछाया जाता रहा। अंतत: प्रोत्साहन की जीत हुई और बालेश्वर ने अपने साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। यह आत्मसमर्पण जिले में संगठन की कमर तोड़ने जैसा आंका जा रहा है। इधर कुछ महीने में पुलिस कार्रवाई ने नक्सली संगठन को बैकफुट पर ला दिया है। नक्सलियों की पैठ पर व्यवस्था के प्रति विश्वास की नींव डाल दी गई है।

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