बिशौनी में 'बंजर में बहार' गजल संग्रह का किया गया लोकार्पण

संवाद सूत्र, परबत्ता (खगड़िया) : अगुवानी के कवि विकास सोलंकी द्वारा रचित 'बंजर में बहार' गजल-संग्रह का लोकार्पण बिशौनी गांव स्थित ठाकुरबाड़ी के प्रांगण में श्रीशिवशक्तियोगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने किया। ग्रामीणों की ओर से विकास सोलंकी को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। आगत अतिथियों ने विकास सोलंकी के ग़•ाल-संग्रह पर अपने विचारों को सामने रखा। कहा कि 'बंजर में बहार' एक महत्वपूर्ण कृति है। स्वामी आगमानंदजी महाराज ने कहा कि साहित्य समाज को जोड़ता है। समाज के निर्माण में साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान है। गीत, गजल, कविताएं हमारे समाज की संजीवनी है। जिस तरह इत्र को स्पर्श मात्र से हम सुभाषित हो जाते हैं, ठीक उसी प्रकार साहित्य के संसर्ग में आकर हम संस्कारित हो जाते हैं। मानव-मानव आपस में कैसे जुड़ कर रह सकते हैं यह बात भौतिकी, रसायन, गणित, विज्ञान नहीं बल्कि साहित्य ही बताता है। इस मौके पर उन्होंने सद्य: लिखित कविता 'आज बिसौनी ग्राम में हो रहा गुलजार' का पाठ किया। भागलपुर से पधारे सुप्रसिद्ध गीतकार राजकुमार ने बंजर में बहार के बाबत कहा कि- पुस्तक लय, छंद, गेयता एवं भाव की ²ष्टि से उत्कृष्ट है। यह पुस्तक पठनीय है और युवाओं के लिए प्रेरणादायक भी। उन्होंने दोहे के माध्यम से अपनी बात कही- मधुर बिसौनी ग्राम में, बहे छंद ही छंद, क्योंकि यहीं बैठे हुए, स्वयं आगमनंद। विकास सोलंकी ने भी कई गजल और कविताएं सुनाई। मंच संचालन मनोज कुमार मिश्र ने किया। इस मौके पर स्वामी शिवप्रेमानंद, स्वामी मानवानंद, पंडित प्रेमशंकर भारती, कविवर राजकुमार, कवि मुरारी मिश्र, कवि दिलीप शास्त्री, कुंदन बाबा भी मौजूद थे।


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