हृदय संबंधी गंभीर रोग से ग्रसित केशव इलाज के लिए अहमदाबाद रवाना



जागरण संवाददाता, अररिया: जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित बच्चों का इलाज अब आसान है। बच्चों के हृदय में जन्मजात छेद सहित अन्य बीमारियों के इलाज में मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना बेहद उपयोगी साबित हो रही है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत संचालित मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत इन बच्चों के नि:शुल्क इलाज का प्रावधान है। वर्ष 2022 में अब तक अररिया आरएस वार्ड संख्या 05 निवासी चार वर्षीय भवानी कुमार, नरपतगंज प्रखंड के घेरा गडिया की रहने वाली हब्सा परवीन का इस योजना की मदद से सफल इलाज हो चुका है। अब इसमें रानीगंज प्रखंड अंतर्गत गोपालपुर निवासी पांच वर्षीय केशव कुमार शर्मा पिता मनोज कुमार गुप्ता का नाम भी जुडने जा रहा है। हृदय संबंधी रोग के इलाज के लिए केशव व उनके परिजन सोमवार को अहमदाबाद रवाना हो चुके हैं। मुश्किल था इलाज के लिये जरूरी रकम जुटाना

अहमदाबाद जाने के क्रम में केशव के पिता मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि छोटे उम्र में बच्चों में किसी गंभीर रोग का पता लगाना मुश्किल होता है। केशव के जन्म के कई सालों तक तो रोग का कुछ पता ही नहीं चला। बढ़ते उम्र के साथ केशव की समस्या बढ़ने लगी। उन्हें स्वांस लेने में तकलीफ थी। वो अक्सर बीमार रहता था। इस वजह से धीरे-धीरे बेहद कमजोर होता जा रहा था। बीमार बच्चे के इलाज में प्राइवेट चिकित्सक इतनी राशि की मांग कर रहे थे कि घर-बार बेच देने के बाद भी उक्त रकम का इंतजाम मुश्किल था। केशव की मां नीतू बताती है कि धीरे-धीरे बच्चे के ठीक होने की उम्मीद कम होने लगी थी। पूरा परिवार हताश व निराश था। केशव के पिता ने बताया कि समाचार पत्रों के माध्यम से उन्हें मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के संबंध में जानकारी मिली। इसके तुरंत बाद वे इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान पहुंचे। जहां उन्हें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की जानकारी देते हुए आरबीएसके के जिला समन्वयक डा. तारीक जमाल से संपर्क करने को कहा गया। आइजीआइसी में लगे विशेष कैंप में हुई बच्चे की स्क्रीनिग वापस अररिया लौटने पर डा. तारीक की मदद से सभी जरूरी प्रक्रिया पूरी की गयी। आईजीआईसी में लगे चिकित्सकीय कैंप में बच्चे की जरूरी स्क्रीनिग के लिये भेजा गया। इलाज के लिये सर्जरी को महत्वपूर्ण बताया गया। हृदय रोगी राज्य के अन्य बच्चों के साथ अहमदाबाद स्थित सत्य साई हॉस्टिपल जाने की बात उन्होंने कही। केशव के पिता ने कहा कि बच्चे के इलाज में उन्हें अब तक एक रुपये खर्च नहीं करना पड़ा है। पटना आने-जाने ही नहीं अहमदाबाद जाने, बच्चे के इलाज सहित वहां से फिर वापस लौटने का पूरा खर्चा राज्य सरकार वहन कर रही है। आरबीएसके के तहत 38 तरह के रोगों का होता है नि:शुल्क इलाज आरबीएसके के जिला समन्वयक डा. तारीक जमाल ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल के बच्चों में होने वाले कुल 38 तरह के रोगों के नि:शुल्क इलाज का प्रावधान है। इसमें चर्मरोग, आंख, दांत, टीबी, एनीमिया, ह्दय व श्वस्न संबंधी रोग, जन्मजात विकलांगता, कटे होंठ व तालु, सहित अन्य रोग इसमें शामिल हैं। योजना के तहत बच्चों के इलाज पर आने वाला पूरा खर्च सरकार वहन करती है। उन्होंने कहा कि आरबीएसके का ये उद्देश्य है कि बच्चा जिस क्षमता के साथ जन्म लेता है। व्यस्क जीवन में उसका समुचित उपयोग संभव हो सके। जन्मजात दोष, विकासात्मक कमियों के चलते कोई भी बच्चा शारीरिक व मानसिक स्तर पर न पिछड़े सरकार इसे लेकर जरूरी प्रयास कर रही है।

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