बिहारीगंज में सूख गए तीन लाख के पौधे



संवाद सूत्र, बिहारीगंज (मधेपुरा) : पर्यावरण संरक्षण को लेकर मनरेगा योजना से गांवों में प्रत्येक वर्ष पौधे लगाए जाते हैं। इन पौधों की देखरेख के अभाव में अधिकांश पौधे सूख जाते हैं, जबकि पौधों की देखरेख के लिए वनरक्षक की तैनाती की जाती है, जिसे विभागीय स्तर से पारिश्रमिक का भुगतान के साथ समय-समय पर खाद व दवा भी मुहैया कराई जाती है। बावजूद अधिकांश पौधे झुलसकर सूख जाते हैं। धरातल की बातें करें तो पौधारोपण के नाम पर पर्यावरण की महत्ता को अनदेखी कर दी जाती है। ऐसी स्थिति में मनरेगा व अंचल कार्यालय परिसर में पौधारोपण किया गया है। पूरे परिसर में एक भी पौधा नजर नहीं आ रहा है जो प्रशासन और जनप्रतिनिधि के उदासीनता को दर्शा रहा है।

जानकारी हो कि मनरेगा व अंचल कार्यालय के समीप योजना संख्या 05 वर्ष 2020-21 में 2,80,622 प्राक्कलित राशि से लगाए गए पौधों में 90 फीसदी से अधिक पौधे सूख चुके हैं। गैबियन भी पूरी तरह साफ हो चुका है, जबकि मनरेगा कार्यालय से योजना का क्रियान्वयन होता है। जब यहां की स्थिति गंभीर बनी हुई है, तो सहज समझा जा सकता है कि गांवों की स्थिति कैसी होगी। इस स्थिति में मनरेगा के तहत सामाजिक वानिकी की बनी हरियाली योजना पर्यावरण की महत्ता पर ठेस पहुंचा रहा है। लोगों का मानना है कि ऐसी हीं स्थिति अन्य कई पंचायत में है। मनरेगा पीओ रतन कुमार का कहना है कि बिहारीगंज नवगठित नगर पंचायत में परिणत होने के कारण मनरेगा कार्य बंद कर दिया गया है। इस वजह से सूखे पौधे की जगह नए पौधे लगाने की समस्या बनी हुई है।

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