विश्वविद्यालयव व शिक्षकों के संघर्ष में दांव पर लगा छात्रों का भविष्य

संवाद सूत्र, सिंहेश्वर(मधेपुरा)। बीएनएमयू में मूल्यांकन शुल्क बढ़ाने को लेकर जारी विवाद पर एआइएसएफ के विवि प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने वर्तमान हालात के लिए पूरी तरह विश्वविद्यालय को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी ही हरकतों के कारण रिजल्ट में काफी विलंब होता है। अपने मांगों के समर्थन में लगातार आंदोलनरत शिक्षकों के मांगों पर विश्वविद्यालय द्वारा कारगर पहल करने के बजाय मामले से अनजान बने रहने पर राठौर ने कुलपति को पत्र लिख संगठन की ओर से आपत्ति जताई। राठौर ने साफ कहा कि संगठन इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकता। विगत कुछ वर्षों में छात्रों की फीस कई गुना बढ़ गई है। ऐसे में शिक्षकों को उस अनुपात में मूल्यांकन फीस देने में क्या दिक्कत है। खासकर इस साल फरवरी में हुई सिडिकेट और सीनेट की बैठकों में इसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया था। साथ ही शुल्क निर्धारित के लिए एक पांच सदस्यीय समिति गठित करते हुए रिपोर्ट देने को कहा गया था। इसमें विलंब को लेकर सात अप्रैल को हुई सिडिकेट में जमकर हंगामा हुआ। इसमें डा जवाहर पासवान को संयोजक, वित्त पदाधिकारी को सचिव और गौतम कुमार, कैलाश प्रसाद, परीक्षा नियंत्रक को सदस्य बनाया गया है। इस कमिटी के गठन के दो माह बाद भी अगर एक साल पहले हुई कापी जांच का शुल्क भुगतान नहीं हो रहा है। स्नातक प्रथम खंड में बढ़े दर को लागू नहीं किया जा रहा तो इसे बीएनएमयू की मनमानी की प्रकाष्ठा कहा जा सकता है। छात्र नेता राठौर ने साफ शब्दों में कहा कि विश्वविद्यालय अविलंब इस मामले को सुलझाए और शिक्षकों की मांग माने। उनकी मांग नीति संगत है। बीएनएमयू में सत्र वैसे ही बहुत पीछे है और मूल्यांकन शुल्क को लेकर अगर विलंब होता है तो रिजल्ट में काफी लेट हो जाएगा।


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