एसएनसीयू वार्ड बना वरदान, नवजातों को मिल रहा जीवनदान

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल परिसर स्थित नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई नवजातों के लिए वरदान साबित हो रहा है। जन्म के बाद बीमार नवजातों में 60 फीसद से अधिक बच्चों को जीवनदान मिलता है। इस वर्ष 1182 बच्चों का इलाज यहां पर भर्ती कर किया गया जिसमें 706 बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो गए। एसएनसीयू में आधुनिक सुविधा उपलब्ध है। नवजातों में आमतौर पर सांस लेने में समस्या, कम वजन, हृदय गति सही तरह से काम नहीं करने, आरडीएस, बर्थ एस्फिक्सिया जैसे कई तरह की बीमारियां हो सकती है। इसमें तुरंत इलाज मिलना आवश्यक होता है।


अस्पताल में ही जन्मे बच्चे जिसकी भर्ती होती है उसकी ठीक होने की संभावना अधिक है। अस्सी फीसद ऐसे नवजात को अस्पताल से जीवनदान मिलता है।अन्य अस्पतालों में जन्मे बच्चे जिसको यहां तक लाने में देरी होती है उसकी मृत्यु दर अधिक है। एसएनसीयू में प्रत्येक माह 250 से अधिक बच्चों का उपचार किया जाता है। बच्चों को जीवनदान मिलता है। स्वस्थ हुए बच्चों का एक वर्ष तक फालोअप किया जाता है। वार्ड के प्रभारी नर्स और कर्मियों को इस कार्य के लिए राज्य सरकार से पुरस्कृत भी किया जा चुका है।
60 फीसद से अधिक भर्ती बच्चों को मिलता जीवनदान -:
प्रत्येक माह 250 से अधिक बच्चे भर्ती होते हैं इसमें 60 फीसद से अधिक बच्चों स्वस्थ हो जाते हैं। वर्ष 2022 के मई माह तक कुल 1182 बच्चों का इलाज किया गया। इसमें 706 बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो कर घर गए। जनवरी में 236, फरवरी में 224, मार्च में 259, अप्रैल में 224 और मई माह में 239 बच्चों का इलाज किया गया। इसमें 706 बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होकर घर गए। 248 बच्चे यहां उच्च मेडिकल संस्थान के लिए रेफर भी किया गया।
बर्थ एस्फिक्सिया से होती है सर्वाधिक नवजातों की मौत :
एसएनसीयू प्रभारी जीएनएम रचना मंडल ने बताया कि सर्वाधिक नवजातों की मौत का एक प्रमुख कारण बर्थ एस्फिक्सिया होता है। जन्म का पहला घंटा नवजात के लिए महत्वपूर्ण होता है। जन्म के समय आक्सीजन की कमी से दम घुटने से बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। डब्लूएचओ के आंकड़े के अनुसार कुल नवजातों की मौतों में 23 फीसद मृत्यु सिर्फ बर्थ एस्फिक्सिया से ही होती है। इसके अलावा मौत के प्रमुख कारणों में निमोनिया, समय से पूर्व जन्म, बहुत कम वजन के बच्चे का जन्म आदि शामिल है। प्रसव हमेशा संस्थागत और प्रशिक्षित एएनएम से करवानी चाहिए।
सुविधाओं से सुसज्जित है एसएनसीयू :-
जीएनएम पीवी रमनम्मा ने बताया कि वार्ड में नवजात शिशुओं के इलाज के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध है। वार्मर, सी-पैप मशीन और केंद्रीयकृत आक्सीजन आपूर्ति की सुविधा दी जाती है। संक्रमण मुक्त वार्ड रखा जाता है।
बच्चों का एक वर्ष तक किया जाता है फोलोअप -:
एसएनसीयू एचओडी डा. प्रेम प्रकाश ने बताया कि एसएनसीयू से इलाज के बाद घर गए नवजात शिशुओं को एक साल तक 6 बार फालोअप के लिए भी बुलाया जाता है। शिशु के स्वस्थ का नियमित चेकअप होता है। माता -पिता को भी देखभाल की जानकारी दी जाती है।
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