भारत-नेपाल सीमा पर सिर्फ स्टडी सेंटर ही नहीं, चीन ने खोल रखे हैं मोटिवेशनल सेंटर भी

सीतामढ़ी। भारत-नेपाल सीमा के भिट्ठामोड़-जलेश्वर चेकपोस्ट के पास से दोनों चीनी घुसपैठिए की गिरफ्तारी के बाद विदेश नीतियों के जानकार सामाजिक कार्यकर्ता शशिशेखर ने कहा कि चीन ने भारत-नेपाल सीमा पर सिर्फ स्टडी सेंटर ही नहीं, बल्कि मोटिवेशनल सेंटर भीखोल रखे हैं। नेपाल के कई स्कूलों में चीनी भाषा मंदारिन को पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है।इस भाषा को पढ़ाने वाले शिक्षकों के वेतन का खर्चा काठमांडू स्थित चीनी दूतावास वहन करता है। चीन ने पुष्प कमल दहाल उर्फ प्रचंड व केपी शर्मा ओली के शासन काल से ही जगह-जगह स्टडी सेंटर खोल रखे हैं। इस सेंटर के माध्यम से वहां नेपाली नागरिकों पर अपनी संस्कृति थोपने का काम किया जाता है। इस सेंटर का उद्देश्य वहां के लोगों को चीनी भाषा की शिक्षा के साथ-साथ चीनी संस्कृति से भी अवगत कराना है। सेंटर चलाने की जिम्मेदारी भले ही नेपाली नागरिकों को दी गई हो, लेकिन इसका पूरा खर्च चीन ही उठा रहा है। सेंटर में यह बताया जा रहा है कि नेपाल की सांस्कृतिक विरासत भारत नहीं, चीन से मिलती है। शशिशेखर का कहना है कि भारत-नेपाल की लगभग साढ़े सत्रह सौ किलोमीटर खुली सीमा पर जगह-जगह ऐसे स्टडी सेंटर व मोटिवेशनल सेंटर खुलेआम चल रहे हैं। इंटेलीजेंस को भी यह जानकारी है। इन्हीं स्टडी सेंटरों में स्लीपर सेल भी तैयार होते हैं, जो बॉर्डर क्षेत्र में घुसपैठियों की मदद के लिए सक्रिय रहते हैं। इस सिलसिले में पूछे जाने पर पुपरी के डीएसपी विनोद कुमार ने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो इसकी जांच कराकर रिपोर्ट की जाएगी। पुपरी अनुमंडल क्षेत्र में भिट्ठामोड़ बॉर्डर से ही दोनों चीनी नागरिकों की गिरफ्तारी हुई।


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