कालाजार के वाहक मच्छर को खत्म करने की जारी है कवायद

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। जिले के 88 अति प्रभावित कालाजार प्रभावित गांवों में एक माह का छिड़काव किया जा रहा है। एसपी छिड़काव वाहक मच्छर को खत्म करने के लिए किया जाता है। जिले के 12 प्रखंडों में 88 प्रभावित गांवों को चिह्नित किया गया है। 10 जुलाई तक यह अभियान चलेगा। सात लाख 11 हजार 839 आबादी को इस अभियान में शामिल किया गया है। एसपी छिड़काव किया जा कगा है। 81 भ्रमणशील टीम को जिम्मेदारी मिली है। सिथेटिक पाइरोथाइराइड ( एसपी ) का छिड़काव 10 जून से प्रारंभ हुआ है जो 10 जुलाई तक जारी रहेगा।

कालाजार मरीजों को मिलती है पोषण राशि -:

कालाजार पीड़ित मरीज को 7100 रुपये की श्रम-क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। यह राशि भारत सरकार के द्वारा 500 और राज्य सरकार की ओर से कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के रूप में 6600 सौ रुपये दी जाती है।
चिह्नित प्रखंड पर किया जा रहा है फोकस -:
ऐसे प्रखंड के गांव जहां तीन वर्ष के अंदर तीन या इससे अधिक मामले मिले हैं वैसे को फोकस किया जा रहा है। पूर्णिया पूर्व में 82 हजार 106 आबादी वाले आठ गांवों में 10 भ्रमणशील टीम को छिड़काव का जिम्मा मिला है।
सफाई का रखें ख्याल -:
घरों या आसपास के बथान, दलान, मवेशियों के रहने वाला स्थान, नाला की सफाई सहित अन्य तरह के रहन-सहन में भी बदलाव करना अति आवश्यक है। कालाजार बालू मक्खी के काटने से फैलता है। अब कालाजार के मरीजों की संख्या मात्र 14 रह गई है। स्वास्थ्य विभाग ने लगातार बैनर, पोस्टर के साथ ही प्रचार वाहन के माध्यम से गांव के हर गली व चौक चौराहों पर जिलावासियों को जागरूक किया जा रहा है। कालाजार के मामलों में लगातार कमी आ रही है। चिह्नित गांवों में झुग्गी झोपड़ी और महादलित बस्तियों में रहने वाले लोगों के घरों में एसपी का छिड़काव किया जा रहा है। वाहक जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. आरपी मंडल ने बताया कि जिले में अब कालाजार रोगी संख्या काफी कम हो गई है। प्रत्येक वर्ष दो बार एसपी छिड़काव किया जाता है। रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश करता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर जांच कराना चाहिए। नमी और अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की मक्खियां ज्यादा फैलती हैं। कालाजार मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है। दो सप्ताह से ज्यादा समय से बुखार हो, खून की कमी (एनीमिया) हो, जिगर और तिल्ली का बढ़ना, भूख न लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना भी इसके मुख्य लक्षण हैं। सूखी, पतली, परतदार त्वचा और बालों का झड़ना भी इसका लक्षण है। उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होती है।

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