वार्षिक पूजा के अवसर सरौन काली मंदिर में उमड़े श्रद्धालु

फोटो- 21 जमुई- 5

संवाद सूत्र, सरौन (जमुई): बिहार-झारखंड की सीमा पर सरौन में अवस्थित प्रखंड के प्रख्यात काली मंदिर में आयोजित वार्षिक पूजनोत्सव का कार्यक्रम मंगलवार को संपन्न हुआ। वार्षिक पूजनोत्सव के मौके पर मंदिर में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर में जुटने लगी। दोपहर होते ही पूरा मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से पट गया। सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर के बगल में स्थित बड़का आहर में स्नान कर माता की चौखट तक दंडवत देते हुए पहुंचे। इससे पहले विद्वान पंडितों द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ संपन्न कराया गया। तत्पश्चात, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सैकड़ों की संख्या में ध्वजारोहण किया गया। इसके बाद ब्राह्मणों एवं कन्याओं को भोजन कराने के साथ ही बलि देने की शुरुआत हुई। इस दौरान पूजा अर्चना के साथ ही सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा अपने बच्चों का चूड़ाकरन संस्कार भी कराया गया।

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वार्षिक पूजनोत्सव की है एक अलग पहचान
चकाई प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरौन काली मंदिर लगभग दो सौ वर्ष पुरानी है। यह मंदिर वर्षों से धार्मिक आस्था का केंद्र है। प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह में इस मंदिर में आयोजित होने वाले वार्षिक पूजनोत्सव की अपनी एक अलग ही पहचान है। यही कारण है कि मेले में लगभग एक लाख से दो लाख की संख्या में मां के भक्त यहां पहुंचते हैं। आसपास के दर्जनों गांवों में इस पूजा का महत्व अन्य सभी पर्वों से बढ़कर है। साथ ही दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को वार्षिक पूजनोत्सव का इंतजार रहता है। वार्षिक पूजनोत्सव में भाग लेने बिहार, झारखंड एवं बंगाल सहित अन्य कई जगहों से बड़ी तादाद में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यही कारण है कि पूजा का स्वरूप लगातार विस्तृत होता जा रहा है।
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सुरक्षा के व्यापक प्रबंध
संवाद सूत्र, सरौन (जमुई): वार्षिक पूजा एवं मेले में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे। थानाध्यक्ष राजीव कुमार तिवारी दल-बल के साथ सुबह से ही सुरक्षा-व्यवस्था पर पैनी नजर बनाए हुए थे। थानाध्यक्ष ने बताया कि मेले में भीड़ को ध्यान में रखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई है। साथ ही महिला श्रद्धालुओं के लिए महिला पुलिस की भी तैनाती की गई है। उन्होंने बताया कि मेला प्रबंधन द्वारा लगभग दो दर्जन सीसीटीवी कैमरे को लगाया गया है ताकि शांति-व्यवस्था भंग करने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जा सके। इस बार मेला प्रबंधन एवं प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे।

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