विधान सभा में उठा लंबे समय से बीआरपी पद पर जमे रहने का मामला



संवाद सूत्र, राघोपुर (सुपौल) : शिक्षा विभाग में नियम एवं कायदे को ताक पर रखकर विभिन्न प्रखंडों के बीआरसी कार्यालय में दशकों से कार्यरत बीआरपी पर गाज गिरना अब तय हो गया है। ज्ञातव्य हो कि प्रखंड के बीआरसी कार्यालय में विभागीय नियम के विपरीत पिछले नौ वर्षों से मु. अब्दुल हलीम प्रखंड साधनसेवी के पद पर कार्यरत हैं। दैनिक जागरण ने मामले को प्रमुखता से उठाया तो अब मामला विधान सभा तक पहुंचने लगा है। अपर राज्य परियोजना निदेशक शिक्षा विभाग किरण कुमारी के कार्यालय पत्रांक 3366 दिनांक 20.06.2022 के माध्यम से सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर कहा गया है कि विधान सभा सदस्य अरुण कुमार के तारांकित प्रश्न संख्यां 18 में शिक्षा मंत्री से पूछा गया है कि क्या यह सच है कि राज्य के विभिन्न प्रखंडों के प्रखंड संसाधन केंद्र के लिए बीआरपी चयन मार्गदर्शिका 2017 के भाग 2 के कंडिका 2-3 के अनुसार प्रखंड साधनसेवी बीआरपी के पदों पर अधिकतम तीन वर्षों के लिए करने का प्राविधान है। पूछा गया कि क्या यह सही है कि राज्य के विभिन्न प्रखंडों में पांच वर्षों से अधिक समय से प्रखंड साधनसेवी अपने पदों पर काबिज हैं जो उक्त प्राविधान एवं कंडिका का उल्लंघन है तथा अधिक समय तक बने रहने के कारण बीआरपी एवं विभागीय पदाधिकारी के द्वारा शिक्षकों का आर्थिक शोषण हो रहा है जिससे शिक्षकों में असंतोष व्याप्त है। उक्त पत्र में लिखा गया है कि यदि उपर्युक्त खंडों के उत्तर स्वीकारात्मक हैं तो क्या सरकार तीन वर्षों से अधिक समय से कार्यरत बीआरपी को मूल विद्यालय में भेजने तथा नए सिरे से बीआरपी को चयन करने का विचार है। हां तो कब तक, नहीं तो क्यों।

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