संवाद सहयोगी, जमुई : अग्निपथ को लेकर पूरा बिहार पिछले कई दिनों से जल रहा था। इस मामले में जमुई जिले पूरी तरह शांत रहा। प्रदर्शनकारी सड़क पर तो उतरे, रेलवे स्टेशन को भी निशाने पर लेने की कोशिश की लेकिन इसमें कामयाब नहीं हो सके। बीते 17 जून को जिस तरह जिला मुख्यालय के कचहरी चौक से हजारों की संख्या में युवा केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध का बिगूल फूंका। इससे यही लग रहा था कि जमुई जिला भी अन्य जिलों की तरह अग्निपथ की आग में जलेगा, लेकिन, शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर घरों को वापस हो गए। इसके बाद जिला प्रशासन ने अपनी कार्रवाई शुरू की और पता लगाया कि ये प्रदर्शनकारी हकीकत में सेना भर्ती में शामिल होने वाले नौजवान थे या फिर उपद्रवी, जिन्होंने नौजवानों को उकसा कर इस प्रदर्शन में शामिल कराया। जांचोपरांत बात सामने आई और पता चला कि जो लोग सेना भर्ती की अहर्ता नहीं रखते, उन्हीं लोगों ने छात्रों को भड़काकर प्रदर्शन करने पर मजबूर किया था। पुलिस के अनुसार युवाओं को उकसाने के मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया। जिसमें पांच लोग सेना भर्ती में शामिल होने की अहर्ता नहीं रखते। इससे साफ है कि इस योजना के विरोध में सोची समझी साजिश के तहत जिले का माहौल खराब करने की कोशिश की गई। प्रदर्शन मामले में जमुई थाने में सात नामजद तथा 500 अज्ञात पर केस दर्ज किया गया। जिसमें अब तक दो की गिरफ्तारी हो चुकी है। दोनों फिजिकल ट्रेनर बताएं जाते हैं, जबकि झाझा में 10 नामजद तथा 60 अज्ञात पर केस दर्ज किया गया। जिसमें अब तक छह की गिरफ्तारी हो चुकी है। एक अभिभावक ने बताया कि केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना बिहार के नौजवानों के हित में है। लोग राजनीतिक दृष्टि से इस योजना का विरोध कर रहे हैं।