सड़क के अभाव में विद्यालय का भवन बना ग्रामीणों का गोदाम

फोटो-21 एसयूपी-6

-बसंतपुर प्रखंड अंतर्गत बनैलीपट्टी पंचायत के उत्तर बौराहा वार्ड नंबर सात में है यह भवन
-तीन किलोमीटर दूर दक्षिण बौराहा प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट किया गया है यह स्कूल
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मिथिलेश झा, वीरपुर (सुपौल) : बसंतपुर प्रखंड अंतर्गत बनैलीपट्टी पंचायत के उत्तर बौराहा वार्ड सात का विद्यालय का भवन शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता नजर आता है। इसका दो मंजिला भवन पिछले पांच वर्षों से बन कर तैयार है लेकिन यह ग्रामीणों का गोदाम बना हुआ है। इसमें बच्चों की जगह हमेशा जलावन सहित अन्य सामान रखे जाते हैं। विद्यालय का यह भवन बसंतपुर प्रखंड की बनैलीपट्टी पंचायत के वार्ड 07 उत्तर बौराहा में स्थित है। इसका कारण है कि यहां तक जाने के लिए सड़क नहीं है। अब इसे दूसरे विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है।
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स्थानीय वार्ड 7 निवासी रविद्र राम, शंकर कुमार राम, सुबेंदर राम आदि ने बताया कि लगभग पांच वर्ष पूर्व दो मंजिला भवन का निर्माण हुआ था। विद्यालय की जमीन सरकारी है परंतु विद्यालय जाने के लिए सड़क नहीं है। इस वजह से इस विद्यालय को दक्षिण बौराहा प्राथमिक विद्यालय में चलाया जाता है जो यहां से दो से तीन किमी दूर है। दूर होने की वजह से बहुत बच्चे विद्यालय भी नहीं जा पाते हैं। यह अनुसूचित जाति बस्ती का एकलौता विद्यालय है।
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उठ रहे सवाल
अब सवाल उठता है कि जब भवन निर्माण कार्य में लगी सामग्रियों को विद्यालय निर्माण स्थल पर जाने में कठिनाई नहीं हुई परंतु जब विद्यालय बन कर तैयार हो गया तब सड़क के कारण स्कूल जाने से बच्चे कैसे वंचित हो गए। सवाल यह भी कि जब विद्यालय की जमीन तक जाने के लिए सड़क नहीं थी तो फिर बिना सड़क की भारी भरकम सरकारी राशि खर्च कर दो मंजिला भवन बना कैसे बना दिया गया। इन सबके बाद जब भवन निर्माण के पांच वर्ष बीत गए तो इस भवन का विभाग द्वारा सुधि नहीं लेकर इस विद्यालय को तीन किमी दूर में दूसरे स्कूल में क्यों चलाया जा रहा है।
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बोलीं बीईओ
इस विद्यालय के बाबत पूछने पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बसंतपुर अनिता कुमारी कहती हैं कि विद्यालय तो चलता ही होगा, गर्मी की छुट्टी के कारण बंद होगा। जब उन्हें बताया गया कि पिछले पांच वर्षों से इस भवन में पढ़ाई नहीं होती है तब उन्होंने कहा कि वे इसकी जांच करेंगी।
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बोले डीईओ
इस संबंध में पूछने पर डीईओ सुरेंद्र कुमार ने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। अगर शिक्षा विभाग से भवन का निर्माण होता तो इस तरह की परेशानी नहीं होती। वे इसकी जांच करवाएंगे, जांच बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

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