बरसात में संक्रमण का बढ़ा खतरा, जीएमसीएच में नहीं अलग वार्ड की सुविधा

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। मानसून की वर्षा होने पर संक्रामक बीमारी फैलने की आशंका रहती है। संक्रामक रोगों के पीड़ित मरीजों को अलग वार्ड में भर्ती किया जाता है। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में अब तक संक्रामक बीमारियों से पीड़ित मरीजों की भर्ती के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। संक्रमण वार्ड नहीं है। सदर अस्पताल का संक्रमण वार्ड टूटने के बाद जीएमसीएच में भवन हैंडओवर नहीं होने से अब तक संक्रमण वार्ड की व्यवस्था नहीं की गई है। अस्पताल प्रशासन संक्रमण वार्ड होने का दावा तो किया जाता है लेकिन मरीजों की भर्ती नहीं की जाती है।


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बरसात में जलभराव का रहता है खतरा -:
जल भराव के बाद मच्छर तेजी से पनपता है। मलेरिया और डेंगू होने का खतरा रहता है। जिले में मलेरिया के कई मामले अब भी मिल रहे हैं। आने वाले दो माह में अच्छी बारिश का अनुमान है। मच्छर काटने से मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफलाइटिस आदि शामिल है। वायरल बुखार तो पहले से चला आ रहा है। जिले में पिछले वर्ष भी मलेरिया और डेंगू के मामले मिले थे।
मलेरिया के लक्षण -:
मच्छर जनित रोग में मलेरिया काफी सामान्य बीमारी है। ठंड के साथ तेज बुखार होना, सिर दर्द होना, उल्टी होना, अत्यधिक थकान होना शामिल है। बचाव के लिए घर के आसपास साफ -सफाई का विशेष ख्याल रखने का चाहिए।
परिवेश की करें सफाई -:
मच्छर जनित रोगों से बचने के लिए घर के आसपास की सफाई आवश्यक है। गढ़े और तालाब में जल भराव नहीं होने दें। गड्ढों में जलभराव रोकने से मिट्टी का भराव करें। नाले और नालियों में भरे पानी पर सप्ताह में दो बार कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। दो बार जला हुआ मोबिल आयल डालें। रात को सोते वक्त मच्छरदानी का प्रयोग करें। चिकित्सक की सलाह लेकर उपचार कराना चाहिए।
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