पहले नियोजन, फिर नौकरी के पांच वर्ष बाद कार्रवाई, अब बकाए वेतन की मांग पर शिक्षकों का धरना

संवाद सहयोगी, जमुई : अप्रशिक्षित शिक्षकों के नियोजन मामले में जिला शिक्षा विभाग की भद पीट गई है। वर्ष 2015 में नियोजन हुआ, फिर नौकरी के पांच साल बाद नियम के विपरीत नियोजन का हवाला देकर तत्कालीन डीपीओ स्थापना श्याम नारायण सिंह ने इन शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। साथ ही इन शिक्षकों का वेतन बंद कर दिया गया। यह दीगर बात है कि इस दौरान भी इन शिक्षकों से सरकारी और गैरसरकारी कार्य लिया जाता रहा। इस कार्रवाई के दायरे में जिले के 202 शिक्षक आए थे। तब से इन्हें यानि 33 महीने से वेतन नहीं मिला है। नतीजतन इन शिक्षकों की माली हालत पतली हो गई है। अब ये बकाए वेतन की मांग के लिए शहर स्थित आंबेडकर प्रतिमा स्थल पर पिछले 11 दिनों से धरना दे रहे हैं। बावजूद विभागीय चुप्पी कायम हैं। लिहाजा, इसे लेकर अब व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। महज वेतन प्राप्त करने के लिए धरना की नौबत पर लोगों में चर्चा होने लगी है। अगर वेतन नहीं देना था, तब नियोजन क्यों, इनसे लगातार काम क्यों, ये सवाल लोग उठाने लगे हैं। दरअसल धरना पर बैठे ये प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक 31 मार्च 2015 के बाद बहाल हुए थे। शुरू में इन्हें नियमित रूप से वेतन मिलता रहा फिर 33 महीने पूर्व वेतन बंद कर दिया गया।


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अगस्त में नियोजन इकाई को भेजी गई थी अंतिम मेधा सूची धरनार्थी शिक्षकों ने बताया कि वर्ष 2015 में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अगस्त माह में अंतिम मेधा सूची का प्रकाशन किया गया था। इसके बाद नियोजन की प्रक्रिया शुरू होती है। ऐसे में 31 मार्च से पहले वो लोग कैसे नियोजित हो सकते थे।
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क्या है मामला
एनसीटीई द्वारा अधिसूचित न्यूनतम अध्यापक योग्यता के मापदंडों के लिए बिहार सरकार को 31 मार्च 2015 तक ही छूट प्राप्त था। इसके बाद अप्रशिक्षित शिक्षकों का नियोजन नहीं हो सकता था। शिक्षक बताते हैं कि तकनीकी समस्या आने के बाद नियमावली 2014 के तहत वर्ष 2014-15 में शिक्षकों के नियोजन की कार्रवाई संशोधित समय तालिका के अनुसार करने का निर्देश दिया गया था। इसी के आधार पर नियोजन किया गया था।
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मांग कर चला रहे खर्चा
वेतन बंद होने से माली हालत खस्ता हो गई है। लोगों से उधार लेकर घर खर्च चला रहे हैं। सेवा ली जा रही है लेकिन मेहनताना नहीं दिया जा रहा है।
शंभू मंडल
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शिक्षक बनकर समाज में सम्मान प्राप्त करना चाहते थे। शिक्षक बन गए, लेकिन व्यवस्था की मार का शिकार हो गए हैं। समझ नहीं आता क्या करें।
सुनील कुमार
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आर्थिक उन्नति और शिक्षित समाज के उद्देश्य से घर की दहलीज पर नौकरी प्राप्त की। अगर नियमानुकूल नहीं था तब तभी नियोजन नहीं करना चाहिए था।
दीप्ति किरण
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पांच साल नौकरी करने के बाद वेतन बंद कर दिया गया। काम लिया जाता रहा। समझ नहीं आ रहा कि यह मेधा का सम्मान है या और कुछ।
ज्योति कुमारी
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कोट
संबंधित मामले की समीक्षा के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशक के कार्यालय में उपनिदेशक, सहायक निदेशक, विधिक कोषांग के बीच मेरे द्वारा बातों को रखा गया है। साथ ही सुझाव भी दिया गया है। वेतन निर्गत करने के डीईओ के पत्र को उपनिदेशक मुंगेर द्वारा रद्द करने से समस्या उत्पन्न हुई है। समस्या के निदान को लेकर विचार-विमर्श जारी है।
शिव कुमार शर्मा
डीपीओ स्थापना, जमुई

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