नव उत्क्रमित उच्च विद्यालय में शिक्षक का नियोजन नहीं होने से बच्चे व अभिभावक निराश

संवाद सूत्र, बरियारपुर(मुंगेर): एक तरफ सरकार सभी पंचायतों में मैट्रिक तक की शिक्षा दिलाने के लिए हर पंचायतों में जहां उच्च विद्यालय नहीं थे, वहां उच्च विद्यालय की स्थापना कर एक अनुकरणीय कार्य किया है। वही, ऐसे विद्यालयों में शिक्षकों के अभाव के कारण विद्यार्थियों व अभिभावकों को निराशा हाथ लगी है ।अभिभावकों का कहना है कि सिर्फ ऐसे विद्यालय में नामांकन करा लेने से ही शिक्षा का स्तर ऊंचा नहीं हो सकता है, वल्कि सरकार को ऐसे विद्यालयों में शिक्षक का नियोजन भी करना चाहिए, जिससे कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।अभिभावकों का कहना है कि ऐसे विद्यालयों में सिर्फ नामांकन करा कर बच्चे प्राइवेट ट्यूशन पर ही निर्भर रहते हैं, जिससे सरकार की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की नीति पर चोट पहुंच रहा है ।बताते चलें कि आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व प्रखंड के चार मध्य विद्यालय कल्याणपुर, रतनपुर, हरिणमार व झौवाबहियार में एक,एक मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय का दर्जा दिया गया, लेकिन ऐसे विद्यालयों में भी मात्र एक या दो विषय के शिक्षक हैं, जिससे विद्यार्थियों का पंचायत में उच्च विद्यालय रहने के बावजूद भी सही ढंग से शिक्षा नहीं मिल पाती है। करहरिया दक्षिणी, नीरपुर, सहित प्रखंड के 11 पंचायत में अब उच्च विद्यालय खुल गए हैं। पहले से चल रहे पुराने विद्यालय में भी शिक्षक का अभाव है। नए उच्च विद्यालय में लगभग एक हजार से अधिक बच्चों का नामांकन हो चुका है। इसमें से इस साल सभी नव उत्क्रमित उच्च विद्यालय के बच्चे मैट्रिक का परीक्षा प्रपत्र भरेंगे व परीक्षा भी देंगे।


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क्या कहते हैं अभिभावक
अभिभावक संतोष कुमार ने बताया कि पंचायत में उच्च विद्यालय की स्थापना के बाद लगा कि अब बच्चे को बरियारपुर नहीं भेजना होगा, लेकिन शिक्षक नहीं रहने के कारण अब बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक क्षति हो रही है।
अभिभावक पंकज कुमार ने कहा कि सरकार का निर्णय सराहनीय है।शिक्षक का नियोजन सभी उत्क्रमित विद्यालय में सरकार को जल्द करना चाहिए, जिससे सरकार का ध्येय पुरा हो सके।

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