औषधीय खेती में महिला किसानों की बढ़ी दिलचस्पी

उपेंद्र, संवाद सूत्र, परबत्ता (खगड़िया) : खगड़िया खेती किसानी में अपनी पहचान को मजबूत कर रहा है। यहां के किसान अब परंपरागत खेती पर निर्भर नहीं हैं। वे आधुनिक खेती की ओर उन्मुख हैं। इसलिए यहां उद्यानिक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है। दूसरी ओर एक तरह से खेती किसानी पर पुरुषों का कब्जा रहा है। लेकिन अब महिलाएं इस क्षेत्र में आगे आ रही हैं। वे औषधीय फसल की खेती में भी हाथ आजमा रही हैं। जिले में मैंथा की खेती पर अब तक पुरुषों का ही आधिपत्य रहा है। जिसे महिलाओं ने पहली बार चुनौती दी हैं। सुदूर गंगा किनारे के गांवों की महिलाएं अब जमकर मैंथा की खेती कर रही हैं। गरीब महिलाएं मैंथा से संपन्नता की ओर बढ़ रही हैं। झंझरा, कोलवाड़ा, नव टोलिया, तेलिया बथान, तिहाय, केरिया में महिलाएं इसकी खेती कर रही हैं। रीता देवी और नूतन देवी ने बताया कि एक बीघा की खेती में 15 से 20 हजार खर्च आता है। लेकिन आमदनी अच्छी हो जाती है। रेखा देवी और सोनी देवी ने कहा कि अप्रैल माह में मैंथा की फसल लगाते हैं। तीन माह बाद इसकी प्रथम कटाई करते हैं। एक बार फसल लगाने पर तीन बार तक इसे काट सकते हैं। कम खर्च में बेहतर मुनाफा होता है। मैंथा से तेल निकालने की मशीन भी गांव में ही है। इसलिए भटकना नहीं पड़ता है। घर पर आकर व्यापारी तेल खरीद कर ले जाते हैं। महिलाएं इस क्षेत्र में आगे आ रही है, यह सुखद बात है। बीते वित्तीय वर्ष में मैंथा की खेती का 30 हेक्टेयर का लक्ष्य था। इस वित्तीय वर्ष का टारगेट नहीं आया है। मैंथा की खेती पर 50 प्रतिशत का अनुदान है।


मु. जावेद, जिला उद्यान पदाधिकारी, खगड़िया

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