फाल्स इंज्यूरी देने वाले डाक्टर पर कार्रवाई के लिए सीजेएम ने लिखा

संवाद सहयोगी, जमुई : जमुई के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मनोज कुमार श्रीवास्तव ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में फाल्स इंज्यूरी देने वाले डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई के लिए जमुई के जिलाधिकारी, सिविल सर्जन, हेल्थ सेक्रेटरी और आइएमए को आदेश दिया है। उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि कानून के प्रविधान के तहत सरकारी ड्यूटी में लगे डाक्टरों को गलत इंज्यूरी देने तक भी कुछ विशेष अधिकार और सुरक्षा प्राप्त है। इस कारण वे कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जबकि यह बात साबित हो चुकी है कि डा. अमित रंजन ने गलत जख्म प्रतिवेदन जारी किया था। यह बात स्पष्ट है कि जमुनीपुर के परमानंद तांती और ममता कुमारी को डा. अमित रंजन ने ही जांच करके उसका जख्म प्रतिवेदन निर्गत किया था। इसमें ममता के हाथ की उंगली तलवार से कटकर अलग हो गई थी और बांह पर कटे का गंभीर जख्म था, जबकि उसके पिता परमानंद तांती पर किए गए वार गंभीर किस्म के थे। सभी जख्मों को डाक्टर अमित रंजन ने साधारण जख्म बता दिया था। जख्मी की ओर से अधिवक्ता चंद्रिका पंडित ने न्यायालय में आवेदन देकर जख्म प्रतिवेदन की दोबारा जांच की मांग की जिस पर जमुई सदर अस्पताल में मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। मेडिकल बोर्ड के तीन डाक्टरों ने भी अमित रंजन द्वारा दिए गए जख्म प्रतिवेदन को गलत बताया परंतु वह भी आधा सच था जिस पर दोबारा जख्मी की ओर से आपत्ति जताई गई। इस बार सीजेएम जमुई ने घायलों को जख्म की जांच कराने के लिए भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल के मेडिकल बोर्ड के समक्ष भेजा जहां मेडिकल बोर्ड ने जमुई सदर अस्पताल के मेडिकल बोर्ड और डा. अमित रंजन के जख्म प्रतिवेदन से अलग रिपोर्ट प्रस्तुत की। तीनों इंज्यूरी रिपोर्ट को देखने के बाद भागलपुर मेडिकल कालेज की इंज्यूरी रिपोर्ट के आधार पर डा. अमित रंजन को फाल्स इंज्यूरी देने का दोषी पाया गया है। कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकृत पदाधिकारियों, सरकार और विभाग को लिखा गया। खैरा के जमुनीपुर में हुए एक विवाद में तलवार से वार के बाद घायल ममता और परमानंद तांती ने मुकदमा दर्ज कराया था जिसने गलत जख्म प्रतिवेदन का मामला सामने आया।

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