सिंडिकेट के फैसले से विभागाध्यक्ष अनजान

सिंडिकेट के फैसले से विभागाध्यक्ष अनजान

जासं, आरा : किसी विश्वविद्यालय के लिए एकेडमी काउंसिल, सिंडिकेट और सीनेट की बैठक अहम होता है। इन बैठकों में लिए गए फैसलों पर विश्वविद्यालय कार्य करता है। आश्चर्य की बात है कि वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में इस तरह की बैठक में जो निर्णय लिए जाते हैं। उसकी प्रोसिडिंग और निर्णय को सिंडिकेट के सदस्य और संबंधित विभागों में नहीं भेजा जाता है। इसका खमियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ता है।
ताजा मामला स्नताकोत्तर (पीजी) संस्कृत विभाग का है। पीएचडी जांच परीक्षा 2020 में अभ्यर्थी श्वेता ने आवेदन किया था। पीएचडी जांच परीक्षा में उत्तीर्ण के बाद जब वह संस्कृत विभाग में कोर्सवर्क के लिए साक्षात्कार देने गई तो उसके आवेदन करने की योग्यता पर सवाल उठाया गया। जब उन्होंने सिंडिकेट में लिये गए निर्णय का हवाला दिया तो कागज उपलब्ध कराने को कहा गया। बाद में उसे अफिडेबिट देना पड़ा। हालांकि बाद में परीक्षा नियंत्रक प्रो. अनवर इमाम ने एपीयरिंग छात्रा के आवेदन की योग्यता को सही बताया। श्वेता पीजी सत्र 2018-20 की अपीयरिंग छात्रा थी। सिंडिकेट में निर्णय लिया गया था कि यूजीसी की तरह पीजी के अपीयरिंग विद्यार्थी भी पीएचडी के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस आदेश के आलोक में कई छात्रों ने आवेदन किये थे। कुलसचिव डा. धीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सिंडिकेट के निर्णयों को लिखित रिपोर्ट तैयार करने का प्रविधान है। इसकी प्रोसिडिंग तैयार की जाती है। रिपोर्ट नहीं भेजे जाने का मामला गंभीर है, इसकी जांच की जाएगी।

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