अनुशंसित मात्रा में नेत्रजन का करें उपनिवेशन

संवाद सूत्र, राघोपुर (सुपौल) : प्रखंड क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर में क्षेत्र के किसानों की खेती-बाड़ी की समस्याओं को लेकर केंद्र पर पहुंचकर कृषि विज्ञानियों से खेती-बाड़ी में उत्पन्न समस्याओं का निदान के बारे में परामर्श लिया। केंद्र के वरीय विज्ञानी एवं प्रधान इंजीनियर प्रमोद कुमार चौधरी की मौजूदगी में शस्य विज्ञानी डा. मनोज कुमार ने कृषकों को कई टिप्स दिए। कहा कि किसान भाई उचित तरीके से शस्य क्रियाओं का पालन नहीं करते हैं। समय पर खर-पतवार प्रबंधन नितांत आवश्यक है। अनुशंसित मात्रा में नेत्रजन का उपनिवेशन की नितांत आवश्यकता है। प्राय: ऐसा देखा जाता है कि प्रथम यूरिया उपनिवेशन में जरूरत से ज्यादा मात्रा का उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक 30 किलो यूरिया का प्रति एकड़ व्यवहार करना चाहिए परंतु किसानों के द्वारा 45 किलो यूरिया एक एकड़ में दे दिया जाता है। परिणाम स्वरूप पौधे तो हरियाली पकड़ लेते हैं परंतु जैसे ही तापमान में बढ़ोतरी तथा पुरवा हवा का प्रभाव होता है तो कीड़े-मकोड़े एवं संक्रमण में आ जाता है। किसान भाई 30 किलो यूरिया एवं 10 किलो सल्फर दोनों को मिलाकर धान की खेती में उपनिवेशन करें। केंद्र के विज्ञानी डा. अजीत कुमार ने कहा कि आज के समय में शहरीकरण, औद्योगिकरण, जनसंख्या वृद्धि तथा बदलती जीवनशैली के कारण जलस्त्रोत का अत्यधिक दोहन हो रहा है। इसका प्रभाव जलवायु परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है। आज वर्षा कम होने की वजह से किसान बंधु खरीफ फसल जैसे धान एवं पाट की खेती में नुकसान हुआ है। आगे कई तरह की समस्याओं से जूझ सकते हैं। इसका निवारण जल संचय कर किया जा सकता है। इसके लिए किसान भाई को अपने खेत की मेड़ को ऊंचा और चौड़ा करना होगा, जिससे कि वर्षा के जल का संचय खेत में हो। जो कि लंबे समय तक धान के पौधे का जरूरत को पूरा करेगा। मौके पर कई गांव के कृषक पहुंचे थे।


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