पशु अस्पताल बीमार, बिना दवा पशुओं का हो रहा इलाज

मुकेश कुमार, लखीसराय : कृषि बाहुल्य लखीसराय जिला दूध उत्पादन के लिए पूरे राज्य में मशहूर है। यहां की बड़ी आबादी खेती के साथ-साथ पशुपालन से अपनी जीविका चलाती है। बावजूद जिले के पशुपालकों को सरकारी स्तर पर पशु चिकित्सा का लाभ नहीं मिल रहा है। गांव तो दूर जिला मुख्यालय का पशु अस्पताल भी हाथी का दांत बनकर रह गया है। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष सह क्षेत्रीय विधायक विजय कुमार सिन्हा सहित केंद्र और राज्य सरकार में ताकतवर मंत्री और सांसद की कर्मभूमि वाले इस जिले में पशुपालकों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। सरकारी व्यवस्था धरातल से दूर है। जिले में कुल 15 पशु अस्पताल कार्यरत है। विभाग ने इनमें से 14 पशु अस्पताल में डाक्टर तो तैनात कर दिया है लेकिन मानव बल की घोर कमी के बीच संसाधन विहीन पशु अस्पताल किसी तरह चल रहा है। जिला मुख्यालय सहित जिले के किसी भी पशु अस्पताल में दवा उपलब्ध नहीं है। जानकारी के अनुसार पशु अस्पताल में कुल 39 प्रकार की दवा एवं पांच अन्य प्रकार की चिकित्सा संबंधित सामग्री का रहना जरूरी है। बिना दवा के पशुओं का कितना इलाज हो रहा है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। मुख्यालय स्थित जिला पशुपालन पदाधिकारी का कार्यालय भी बिना बड़ा बाबू के चल रहा है। भागलपुर के एक लिपिक को यहां दो दिन के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है। जिला पशुपालन कार्यालय में एक चिकित्सक डा. निरुपम कुमार के अलावा एक डाटा आपरेटर, एक अनुसेवक मात्र है। सरकारी वाहन भी महीनों से खराब पड़ा हुआ है।

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जिले में कुल 15 पशु चिकित्सा केंद्र है। मुख्यालय में 24 घंटे पशु चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध है। पशु अस्पतालों में फिलहाल दवा खत्म हो गई है। जल्द ही दवा की आपूर्ति की जाएगी। इसके लिए आवंटन भी प्राप्त है। कुल 33 प्रकार की दवा क्रय के लिए विभाग को अधियाचना भेजी गई है। जल्द ही सभी अस्पतालों में दवा उपलब्ध करा दी जाएगी।
अजित कुमार शर्मा, जिला पशुपालन पदाधिकारी, लखीसराय।
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जिले में 15 पशु अस्पताल में आठ को अपना भवन नहीं
संवाद सहयोगी, लखीसराय : जिला में पशुओं की चिकित्सा के लिए 15 प्रथम वर्गीय पशु अस्पताल है। इसमें तीन अस्पताल सामुदायिक भवन, चार अपने भवन में किसी तरह चल रहा है। आठ पशु अस्पताल को अपना भवन भी नहीं है। खास बात यह है कि इन पशु अस्पताल में फार्मासिस्ट, पशुधन सहायक, नाइट गार्ड एवं कार्यालय परिचारी तक नहीं है। पदस्थापित चिकित्सक क्षेत्र में रोज जाते हैं या नहीं यह भी देखने वाला कोई नहीं है। लखीसराय मुख्यालय के अलावा हलसी, परसावां, तेतरहट, वंशीपुर, मननपुर, सूर्यगढ़ा, पीरी बाजार, मेदनी चौकी, खुटहा, रामचंद्रपुर, वीरूपुर, बड़हिया, पतनेर एवं प्रतापपुर में पशु अस्पताल हैं। पतनेर के पशु चिकित्सक डा. धनंजय कुमार ने बताया कि अस्पताल को अपना भवन नहीं है। ठीक से बैठने की भी जगह नहीं है। हमने अस्पताल के लिए जमीन खोजकर सीओ को सभी कागज भी दिया है लेकिन अबतक कुछ नहीं हुआ। पिछले दिनों जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह जब पतनेर गांव जांच में पहुंचे तो वहां भी पशु अस्पताल की बदहाल स्थिति देख सीओ को अविलंब जमीन संबंधित एनओसी देने को कहा। अन्य जगहों में जहां अपना भवन नहीं है वहां पशु अस्पताल खुद बीमार है। पशु पालकों की मानें तो गांवों में ढूंढने के बाद भी पशु चिकित्सक नहीं मिलते हैं।

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