चौगाईं में ‘शाहाबादी शेर’ ने तोड़ा था नमक का काला कानून

चौगाईं में ‘शाहाबादी शेर’ ने तोड़ा था नमक का काला कानून

संवाद सहयोगी, चौगाईं (बक्सर) : आजादी की लड़ाई में पूरा देश जल रहा था। उस समय स्वतंत्रता आंदोलन में डुमरांव, चौगाईं, कोरानसराय और केसठ सहित आसपास के युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर अपनीं भागीदारी सुनिश्चित कराई। प्रखंड के स्थानीय गांव में ‘शाहाबादी शेर’ के नाम से चर्चित सरदार हरिहर सिंह को बचपन से ही देश की गुलामी झकझोरती रही। आजादी की लडाई में भाग लेने के लिए मैट्रिक की परीक्षा में सम्मिलित होने के पूर्व ही स्वतंत्रता संग्राम की जंग में कूद पड़े। देश को आजाद कराने के लिए सरदार साहब ने सन 1919, 1933 एवं 1940 में कई बार जेल की यातना सही।

उसी दौरान नमक सत्याग्रह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में प्रमुख अहिंसक विरोधों में से एक था। सन 1930 में माहात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के दौरान सरदार ने अपने गांव स्थित सीढ़ीनुमा कुंआ के पास नमक बनाकर अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ा था। इसके लिए अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ कर जेल में डाल दिया था। उसके बाद हजारीबाग जेल में दो वर्षो तक बंद रहे। फिर 1942 में अंग्रेज शासकों के द्वारा चौगाईं गांव स्थित इनके आवास को आग के हवाले किया गया। इसके बाद भी अंग्रेज शासक शाहाबादी शेर के दिल में लगी आग नहीं बुझा सके। सरदार हरिहर सिंह अपने राजनीतिक जीवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और बिहार केशरी डा.श्रीकृष्ण सिंह सहित कई लोगों के करीबी माने जाते थे। चौगाईं गांव निवासी और राष्ट्रीय किसान नेता रणजीत सिंह ''राणा'' बताते हैं कि अपनी नेतृत्व क्षमता के कारण उनके साथी उन्हें सरदार कहते थे।
1952 से 77 तक किया क्षेत्र का प्रतिनिधित्व
आजादी के बाद प्रथम आम चुनाव 1952 में हुए, जिसमें डुमरांव विधानसभा क्षेत्र से वे निर्वाचित हुए। उसके बाद 1977 तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किए। वीपी मंडल सरकार में कृषि मंत्री बने। उसके बाद 1969 में कुछ दिनों के लिए उन्होंने सूबे की कमान संभाली और अपने छोटे से कार्यकाल में तकाबी कर्ज माफ कर किसानों को बड़ी राहत दी।
घोषणा के बाद भी नहीं लगी प्रतिमा
शाहाबादी शेर भले ही देश व समाज के लिए ब्रितानी शासकों के प्रताड़ना के शिकार बने, लेकिन आज अपने पैतृक गांव और इलाके में ही बिसर गये है। नई पीढ़ी को इन आजादी के दिवानों से अवगत कराने के लिए उनकी प्रतिमा तक कहीं नहीं लगी। 1990 में डुमरांव में डीएसपी आवास के समीप ही सरदार हरिहर सिंह की प्रतिमा लगाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के द्वारा शिलान्यास किया गया। उसके बाद आज तक इस ओर किसी का ध्यान नहीं आकृष्ट हुआ। फिलहाल शिलान्यास पट्टिका का अस्तित्व भी समाप्त हो चुका है। साहित्यकार पं.शिवजी पाठक, डा.मनीष कुमार शशि और दशरथ प्रसाद विद्यार्थी सहित कई लोगों ने कहा कि ऐसे सख्शियतों की समृति को स्थाई बनाने के लिए प्रयास न तो सरकारी स्तर पर एवं न ही आमजन स्तर पर ही किया गया। ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए यह उदासीनता बेवफाई से कम नहीं है।

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