बाल-विवाह व दहेज प्रथा रोकने में विफल मुखिया की जा सकती है कुर्सी

संवाद सूत्र, मधेपुरा : बाल-विवाह व दहेज प्रथा रोकने में विफल सरकार अब इसकी जिम्मेदारी पंचायत के मुखिया पर सौंपने जा रही है। नियमों के अनुरूप अब बाल-विवाह व दहेज लेने-देने की सूचना मिलते ही संबंधित ग्राम पंचायत के मुखिया तत्काल इसकी सूचना बीडीओ और एसडीओ को देंगे। साथ ही बाल-विवाह को रोकेंगे। अगर ग्राम पंचायत के किसी वार्ड में बाल-विवाह का मामला प्रकाश में आता है तो संबंधित वार्ड सदस्य व मुखिया जिम्मेदार माने जाएंगे। अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करने के आरोप में मुखिया को पद से हटाने की कार्रवाई भी सरकार कर सकती है। इसे सुनिश्चित कराने के लिए सरकार द्वारा डीएम व जिला पंचायती राज पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है।


सरकार के निर्देश में यह भी कहा गया है कि दहेज लेने-देने से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी को मुखिया सूचित करेंगे। अधिकारियों ने कहा है कि बाल-विवाह व दहेज उन्मूलन में मुखिया व अन्य जनप्रतिनिधियों की भागीदारी व भूमिका तय की गई है। मालूम हो कि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 22 व 47 के अंतर्गत क्रमश: ग्राम पंचायत व पंचायत समिति को महिला व बाल कार्यक्रमों में सहभागिता करने का दायित्व सौंपा गया है।
मालूम हो कि सीएम नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2021-22 में बाल-विवाह व दहेज प्रथा के विरोध में राज्यव्यापी समाज सुधार अभियान प्रारंभ किया गया था। इसके पहले वर्ष 2018 के जनवरी में दहेज प्रथा और बाल-विवाह के खिलाफ सीएम के आह्वान पर बिहार में मानव श्रृंखला भी बनाई गई थी। बावजूद इसके बाल विवाह तथा दहेज प्रथा पर रोक नहीं लग सकी है। अब सरकार मुखिया के कांधे पर इसकी जवाबदेही सौंपकर मुक्त हो जाना चाहती है।
हर वैध विवाह का पंजीकरण करेंगे मुखिया बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली 2006 में मुखिया को विवाह पंजीकरण का दायित्व दिया गया है। विवाह पंजीकरण के लिए विवाहों का वैध होना अनिवार्य है। इसको लेकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि पंचायत क्षेत्र अंतर्गत हर वैध विवाह का पंजीकरण करना मुखिया व पंचायत सचिव के लिए अनिवार्य होगा। विवाहों को पंजीकृत करने से बाल विवाह के मामलों पर अंकुश लगाया जा सकता है।

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