कार्यानंद मिश्र ने 14 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों को दी थी चुनौती

गोली खाने के बाद बोला था अंग्रेजों भारत छोड़ो, 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सूर्यगढ़ा के चार वीर सपूतों ने दिया था बलिदान

संवाद सहयोगी, लखीसराय : देश को आजाद कराने में सूर्यगढ़ा के वीर सपूतों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। चार वीर सपूतों ने आजादी के महायज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी है। आजादी के दीवानों के खून से लिखी गई आजादी का इतिहास पर वर्तमान समय के लोग इठला तो रहे हैं परंतु देश को आजाद कराने वाले वीर सपूतों को भुलाने भी लगे हैं। जरूरत है उन वीर सपूतों को याद कर उनके पदचिह्नों पर चलने की।
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आजादी की लड़ाई में सलेमपुर के 14 वर्षीय बालक कार्यानंद मिश्र, निस्ता के डोमन यादव, अरमा के द्वारिका प्रसाद एवं उरैन के बेनी प्रसाद सिंह ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। इनमें से तीन बलिदानी के नाम पर शहीद द्वार तो बना दिया गया है परंतु उनकी वीर गाथा से वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराने की दिशा में किसी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाता है। शहीद द्वार तक ही उनकी वीर गाथा सिमटकर रह गई है। जबकि उरैन के बेनी प्रसाद सिंह के नाम पर अब तक शहीद द्वार भी नहीं बन सका है।
1942 में पूरे देश में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की आग धधक रही थी। अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने वाले क्रांतिकारियों को कुचलने के लिए आतंक फैला रहा था। अंग्रेजों के इस क्रुरतम कार्रवाई में सूर्यगढ़ा के चार वीर सपूत शहीद हो गए। इसके बावजूद सूर्यगढ़ा में क्रांति की आग ठंड नहीं हुई। 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की रणनीति बनाने को लेकर सूर्यगढ़ा के कांग्रेस कार्यालय परिसर में कांग्रेस की बैठक हो रही थी। इसी दौरान अंग्रेजों ने बैठक में शामिल लोगों पर गोलियों की बौछार कर दी। 14 वर्षीय बालक कार्यानंद मिश्र सीने पर गोली खाने के बाद भी अंग्रेजों भारत छोड़ो का सिंहनाद करते हुए बलिदान हो गए। इस दौरान नयाटोला सलेमपुर के रामकिशुन सिंह के पैर में भी गोली लगी। बैठक में शामिल होने के लिए सूर्यगढ़ा आने के दौरान निस्ता के डोमन यादव को भी अंग्रेजों ने गोली मार दी। वे घटनास्थल पर ही बलिदान हो गए। अंग्रेजों ने अरमा के द्वारिका दास को भी सूर्यगढ़ा आने के दौरान गोलियों से छलनी कर दिया। जबकि अंग्रेजों ने ट्रेन से ही खेत में काम करने के दौरान उरैन के बेनी प्रसाद सिंह को गोली मार दी। वे भी बलिदान हो गए। इनकी कुर्बानी को एक बार जरूर याद करना चाहिए।

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