मोहर्रम की दसवीं आज , इमामबाड़ा में निशान गाड़ पढ़ा फातिहा



संवाद सहयोगी, मुंगेर : हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हसन व हुसैन की शहादत की याद में नवमी व दसवीं को अखाड़ा व ताजिया जुलूस निकाल कर दसवीं की सुबह करबला में पहलाम किया जाता है। इस वर्ष भी मुहर्रम कमेटी की ओर से मंगलवार को ताजिया जुलूस व अखाड़ा नहीं निकाला जाएगा। सभी इमामबाड़ा कमेटी ने मोहर्रम पर अखाड़ा जुलूस या ताजिया नहीं निकालने का निर्णय बैठकों में ही ले लिया था। शहर में कई स्थानों पर इमामबाड़ा पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने निशान गाड़ कर हजरत इमाम हुसैन की याद में फातिहा पढ़ने की रस्म अदा की। मौलाना अब्दुल्ला बुखारी बताते हैं कि मुहर्रम दो कारणों से मनाया जाता है। एक तो हजरत मोहम्मद साहब के नवाशे हजरत इमाम हुसैन को 72 साथियों और उनके स्वजन के साथ कर्बला के मैदान में मुहर्रम के दसवीं तारीख को ही धोखा से बुलाकर शहीद कर दिया गया था। जिसकी याद में सिया समुदाय के लोग शोक मनाते हैं तथा सुन्नी समुदाय इमाम हुसैन के शहादत पर उनकी बहादुरी को याद करते हैं। दूसरा यह भी है कि इस्लाम में अरबी की 10 तारीख को पाक दिन माना गया है। क्योंकि हजरत मोहम्मद साहब के पूर्व मु. ईसा का जन्म इसी तारीख को हुआ था। जिनको याद कर लोग मुहर्रम में फातिहा पढ़ते हैं।

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बना रहे आपसी सौहार्द
दिलावरपुर काली ताजिया इमामबाड़ा कमेटी के मु. छोटू, मु. चुन्नू, मु. बब्बन, मु. जफर, अली इमरान और मु. साजिद ने बताया 2014 में मोहर्रम की नवमी और दुर्गा पूजा की दसवीं एक दिन था। मोहर्रम पर ताजिया नहीं निकालने का निर्णय लिया गया, ताकि इससे जिला में साप्रदायिक सोहार्द बना रहें है। उन्होने कहा अब शहरी क्षेत्र में चहल्लुम भव्य तरिके से निकाला जाता है। इस बार चहल्लुम के मौके पर शहर ही नही गांव से ही भव्य ताजिया व अखाड़ा निकाला जाएगा। मुर्गियाचक के मु. नसीम ने बताया इमामबाड़ा को रंगीन लाइटो से सजाया गया है। लोग निशान गाड़ कर फातिहा के लिए पहुंच रहें है। जुलूस व ताजिया नहीं निकल रहा है।

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