कागजों तक सिमटा है वाटर हार्वेस्टिंग योजना

कागजों तक सिमटा है वाटर हार्वेस्टिंग योजना

औरंगाबाद । वर्षा जल संचय के तहत जिले में सरकारी भवनों के परिसर में हार्वेस्टिंग की एक भी योजना पर काम नहीं हो सका है। सरकारी चापाकलों के पास सोखता का निर्माण नहीं कराया गया है। सरकारी भवनों के परिसर से लेकर चापाकलों के पास सोखता निर्माण को लेकर डीएम सौरभ जोरवाल के द्वारा कई बार सोमवारी साप्ताहिक समीक्षा बैठक में निर्देश दिए हैं। डीएम के निर्देश के बावजूद आजतक एक भी योजना पर काम नहीं हो सका है। हद तो यह कि समाहरणालय, व्यवहार न्यायालय से लेकर भवन निर्माण, पीएचइडी, लघु जल संसाधन, सिंचाई विभाग कार्यालय जैसे सरकारी कार्यालयों में भी वाटर हार्वेस्टिंग का काम नहीं कराया गया है। जिले में पीएचइडी के करीब 1500 सरकारी चापाकल है। इसके अलावा अन्य विभागों से भी लगवाए गए सरकारी चापाकल है पर एक भी चापाकल पर जल संचय के तहत सोखता का निर्माण नहीं कराया गया है। बताया गया कि इस योजना के तहत कार्य करने का उद्देश्य है कि वर्षा का जल या चापाकलों से निकलने वाला जल का संचय किया जाए जिससे जल का स्तर को नीचे जाने से रोका जाए। इसी कारण राज्य सरकार ने अब पीसीसी कार्य पर रोक लगा दी है। पेवर ब्लाक का कार्य कराया जा रहा है। पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि अबतक उनके विभाग के द्वारा सरकारी चापाकल पर सोखता का निर्माण नहीं कराया गया है।पूर्व में गाड़े गए चापाकलों पर सोखता निर्माण कराने की विभाग की कोई योजना भी नहीं थी। वर्तमान में विभाग के द्वारा करीब 140 चापाकलों को लगाने की निविदा के तहत ठेकेदारों के द्वारा लगाया जा रहा है। सभी चापाकलों पर सोखता के अलावा प्लेटफार्म और दो मीटर तक नाली का निर्माण ठेकेदारों को ही कराना है। बताया कि सोखता का निर्माण लघु जल संसाधन विभाग को कराना है। उधर लघु जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार ने बताया कि सोखता का निर्माण हमारे विभाग से नहीं होना है। भवन निर्माण विभाग के अनुसार सरकारी भवनों के परिसरों में वाटर हार्वेस्टिंग का काम कराया जाना है।

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