मांग के अनुरूप आवंटन का विभागीय दावा, किल्लत झेल रहे किसान

-उर्वरक वितरण में जीरो टालरेंस की नीति का पालन करने के प्रशासन की हिदायत के बावजूद किसानों को परेशानी

----------------------------------- जागरण संवाददाता, सुपौल: उर्वरक वितरण में जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करने के प्रशासन की हिदायत के बावजूद किसानों को यूरिया नहीं मिल पा रही है। पिछले रबी सीजन में यूरिया की जो किल्लत जिले में उत्पन्न हुई वह किल्लत आज भी बनी हुई है। मजबूरन किसान कालाबाजारी से यूरिया खरीदने को विवश हैं। खरीफ मौसम में भी यूरिया को लेकर कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। उसमें भी तब जब विभाग लगातार यह दावा कर रहा है कि मांग के अनुरूप जिले को यूरिया आवंटित हो रही है । ऐसे में यूरिया की किल्लत होना किसानों के समझ से परे दिख रहा है। दरअसल यूरिया को लेकर जिले में मारामारी की स्थिति बनी हुई है। किसान एक बैग यूरिया को लेकर दुकान दुकान फिर रहे हैं। लेकिन उन्हें यूरिया नहीं मिल पा रही है। कई जगह दुकानदार यूरिया रहने के बावजूद कृत्रिम अभाव दिखाकर कालाबाजारी कर रहे हैं। जबकि कई दुकानदार यूरिया के साथ साथ किसानों को अन्य उर्वरक लेने के लिए भी दबाव डालते हैं। इस पर अंकुश लगाने में अधिकारी विफल हो रहे हैं । यूरिया की किल्लत के कारण कई जगह धान की फसल पीले पड़ने लगी है।

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मनमानी से परेशानी
एक उर्वरक दुकानदार ने बताया कि थोक विक्रेता की मनमानी के कारण अन्य उर्वरक खरीदने पर ही यूरिया उपलब्ध करवाई जा रही है । इसके अलावा यूरिया देने में प्रति बोरा 300 रुपये ले रहे हैं। 300 रुपये प्रति बोरी यूरिया खरीदने के बाद ढ़ुलाई का खर्च 320 रुपये प्रति बोरी पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में 266 रुपये प्रति बोरी यूरिया बेचना संभव नहीं हो पा रहा है।
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पैदा किया जा रहा कृत्रिम अभाव
किसानों की मानें तो दुकानदारों द्वारा कृत्रिम अभाव पैदा कर यूरिया की कालाबाजारी की जा रही है। कई दुकानदार तो निर्धारित दर पर यूरिया देने को राजी नहीं होते हैं। जब तक यूरिया के साथ अन्य उर्वरक किसान लेने को तैयार नहीं होते हैं। इसको लेकर दुकानदारों द्वारा दबाव भी बनाया जाता है। हालांकि पिछले करीब 5 -6 दिनों से वर्षा नहीं होने के कारण फिलहाल यूरिया की जरूरत किसान महसूस नहीं कर रहे हैं । यदि बारिश हो जाती है तो फिर परेशानी तय मानी जा रही है।
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कोट-
जिले में यूरिया की कोई किल्लत नहीं है। कुछ किल्लत यूरिया की रैक लगने में देरी होने से उत्पन्न होती है जो अस्थाई होती है। जहां तक किसानों से अधिक कीमत वसूली करने या फिर यूरिया के साथ अन्य कोई उर्वरक लेने की बाध्यता का सवाल है यदि किसान शिकायत करते हैं तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी । हालांकि अब तक कालाबाजारी करने वाले कई उर्वरक विक्रेताओं के विरुद्ध कार्यवाही की जा चुकी है ।
-अजीत कुमार यादव जिला कृषि पदाधिकारी

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