स्मैक की लत में फंस रहे युवा वर्ग, स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह

संवाद सहयोगी, किशनगंज : युवा वर्ग से लेकर तमाम उम्र के लोग नशे के चंगुल में फंसते जा रहे हैं। अब युवा वर्ग शराब की बजाय सूखे नशे यानी स्मैक, चरस व नशीले ड्रग्स के चंगुल में फंस रहे हैं। नशा हर रूप में स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। हालात चुनौतीपूर्ण इसलिए भी होते जा रहे हैं कि अब युवा वर्ग शराब की बजाय सूखे नशे यानी स्मैक, चरस व नशीले ड्रग्स के चंगुल में फंस रहे हैं यह जानकारी सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने दी।

उन्होंने बताया कि स्मैक से पूरा स्नायु तंत्र प्रभावित होता है। इस नशे से व्यक्ति काफी उग्र हो जाता है और उसे लगता है कि दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान है। इसमें उसके अपराध करने की भी आशंका बनी रहती है। नशा करने वाला व्यक्ति कल्पना की दुनिया में चला जाता है। ये नशा करने वाला दिमागी सुनपन और उच्च रक्तचाप की चपेट में आ जाता है। इसका असर स्नायु तंत्र पर तेजी से होता है। लेकिन अधिक सेवन से फेफड़े, किडनी, लीवर के फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
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जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेन्द्र कुमार ने बताया की स्मेक का नशा, जिसे हमारे समाज में एक बुराई माना जाता है। इसके कारण आज के युवा विनाश के गर्त में समा रहे हैं। नशाखोरी के कारण समाज में अनुशासनहीनता बढ़ रही है। लोगों की मानसिक, शारीरिक व आर्थिक स्थिति भी बिगड़ रही है। युवाओं खासकर बच्चों में जिस तेजी से नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। यह जानलेवा साबित हो सकता है।
एसीएमओ डा. सुरेश प्रसाद ने बताया कि स्वस्थ जीवन के लिए नशे से दूरी जरूरी है। जो लोग भी किसी प्रकार के नशे की लत में हैं उसका तत्काल त्याग करें। किसी भी प्रकार का नशा शरीर को अंदर से कमजोर करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। नशा आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक रूप से मनुष्य को कमजोर करता और नशे की लत को मजबूत इच्छाशक्ति से ही छोड़ा जा सकता है।

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