याद करो बलिदानी : सत्य, अहिसा और कर्तव्य पथ पर चलने की देते रहें सलाह

संवाद सहयोगी, किशनगंज : स्वतंत्रता सेनानी श्रीपति जोरदार उर्फ कानू बाबू के वशंज पोते सुब्रत ज्वारदार ने बताया कि मुझे गर्व है कि हम उस परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिसने देश की आजादी में अपना योगदान दिया। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किशनगंज से अहम भूमिका निभाए थे। बताया कि हम काफी छोटे थे तभी दादाजी का देहांत हो गया था। लेकिन आज भी याद है दादाजी अक्सर आजादी को लेकर कहानी सुनाया करते थे। कई बार हमने अपने पिता व चाचा से भी दादाजी के गौरव गाथा सुने है। आजादी से पूर्व स्वाधीनता संग्राम का गवाह किशनगंज जिला भी रहा है। 1857 में सिपाही विद्रोह के समय जिला से सटे पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में भी सिपाही विद्रोह की घोषणा हुई थी। उस समय भी सिपाही ढाका से किशनगंज में आश्रय के खोज में आए थे। शायद यहीं से किशनगंज में शुरु हुआ था स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई। कहा कि देश की आजादी की बात जब-जब सुनते हैं तो दादाजी की याद हर पल आती है। बताया कि वह अपने जीवन में हमेशा ही परिवार के लोगों को सत्य, अहिसा और कर्तव्य पथ पर चलने की सलाह देते रहे। दीन दुखियों की हमेशा मदद करते रहे और परिवार सहित समाज के लोगों को इस कार्य के लिए प्रेरित करते रहे। दादाजी की सोच थी कि वहीं समाज सभ्य, स्वस्थ और सुशिक्षित बन सकता है। जिस समाज के लोग कमजोर लोगों की मदद करने में अपना सहयोग देते हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि ऐसे दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी के तस्वीर जिला प्रशासन द्वारा केवल समाहरणालय के सभाकक्ष में लगवाया है। जबकि ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा हमारे निवास स्थान लाइनपाड़ा स्थित चौक पर स्थापित किए जानी चाहिए।


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