कोसी तटबंध के अंदर भी सूख रहे खेत

संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल) : वर्षा नहीं होने के कारण कोसी नदी से घिरे कई गांव में इस बार उपजाऊ खेत बंजर बना हुआ है। पानी के अभाव में लोग अपने-अपने खेतों में धान की रोपनी नहीं कर पा रहे हैं। पिछले वर्ष कोसी नदी के पानी में बार-बार उतार-चढ़ाव होने के कारण लोगों की धान फसल की सिचाई हो जाती थी लेकिन इस बार कोसी नदी का पानी भी अब तक में मात्र एक दो बार लोगों के घर आंगन के अगल-बगल पहुंचा है। कुछ जगहों पर लोगों के घरों में भी पानी प्रवेश किया था लेकिन उसके बाद से कोसी नदी शांत है और आसमान से भी पानी नहीं बरस रहा है। बलुआही इलाका होने के कारण कोसी के गांव में फसल में बार-बार सिचाई की जरूरत होती है।

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कोसी नदी के बीच बसे कुछ गांव के लोगों ने बताया कि मानसून के धोखा देने और कोसी नदी में बार-बार बाढ़ नहीं आने का खामियाजा उनलोगों को भुगतना पड़ेगा। लोगों का कहना है कि पानी के अभाव में धान की फसल नहीं के बराबर होगी और ऐसे में आगे के समय में गंभीर समस्या उत्पन्न होगी। कई लोगों के खेतों में धान का बिचड़ा अभी भी पड़ा हुआ है। पानी के अभाव में धान की रोपनी नहीं हो पा रही है। यदि रोपनी कर भी दी जाती है तो वर्षा नहीं होने पर धान होने की संभावना नहीं के बराबर दिखाई देती है। इस कारण भी धान की रोपनी प्रभावित हुई है। ढोली गांव के संतोष कुमार सिंह, बलथरबा गांव से दिनेश कुमार सिंह सहित कुछ अन्य किसानों ने बताया कि अब धान की रोपनी का अंतिम समय है और ऐसे में भी खेतों में पानी नहीं है। कोसी के इलाके में कम ही लोग पंपसेट रखते हैं। बाढ़ के समय में पंपसेट को रखने में परेशानी होती है। इस कारण लोग बाढ़ आने से पहले ही पंपसेट को नदी के उस पार रख देते हैं। अब धान की रोपनी और सिचाई के लिए दोबारा पंपसेट नाव के सहारे गांव तब लाना होगा। नदी में पानी कम रहने के कारण मशीन को भी गांव तक लाना संभव नहीं दिखता है। कई लोगों ने बताया कि पानी नहीं रहने के कारण वह सभी पंपसेट से धान की रोपनी और सिचाई कर रहे हैं।

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