आचार्य शिवपूजन सहाय व महेश नारायण का साहित्य में योगदान अतुलनीय : डा. अनिता

आचार्य शिवपूजन सहाय व महेश नारायण का साहित्य में योगदान अतुलनीय : डा. अनिता

जागरण संवादददता, छपरा : जयप्रकाश विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में बुधवार को आचार्य शिवपूजन सहाय एवं बाबू महेशनारायण की जयंती दो सत्रों में मनाई गई। समारोह का उद्घाटन स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डा. अनीता एवं ब्रजेंद्र सिन्हा ने संयुक्त रूप से मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्ज्वलित कर किया। पीजी विभागध्यक्ष डा. अनिता ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य शिवपूजन सहाय व महेश नारायण का साहित्य में योगदान अतुलनीय है। उन्होंनं राजनीति के क्षेत्र में बिहार के स्वतंत्र अस्तित्व एवं अस्मिता के लिए बाबू महेश नारायण के आजीवन संघर्ष को सदैव याद किया जाएगा। वे बड़े स्वतंत्रता सेनानी भी थे। साहित्य के क्षेत्र में खड़ी बोली में रचित उनकी लंबी कविता ' स्वप्न' भाषा,स्वरूप और तकनीक में अपने समय से बहुत आगे की रचना है। खड़ी बोली में काव्य रचना की संभावना को सन् 1883ई. में भारतेंदु ने जब नकारा था उसके दो वर्ष पूर्व मुक्त छंद में फैंटेसी के सुंदर प्रयोग के साथ अपनी उक्त रचना के माध्यम से बाबू महेश नारायण ने इतिहास रच डाला था।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बजेंद्र सिन्हा ने राजेंद्र महाविद्यालय से आचार्य शिवपूजन सहाय के संबध पर प्रकाश डाला तथा स्मृतियां साझा की। शिवपूजन सहाय राजेंद्र कालेज में व्याख्याता भी रह चुके है। उन्होंने शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को आचार्य शिवपूजन सहाय और बाबू महेशनारायण के साहित्य में योगदान को बताते हुए कहा- शोध छात्रों को इन साहित्यकारों प शोध करने की जरूरत है।
विभाग के प्रोफेसर अजय ने आचार्य शिवपूजन सहाय की भाषा को अनुकरणीय बताया। प्रो. सिद्धार्थ शंकर ने भी इस विषय पर अपना मत रखा और कहा छायावाद की पहली रचना के रूप में ' जूही की कली ' को सभी जानते हैं लेकिन यह पता होना चाहिए कि बाबू महेशनारायण जी ने सन् 1881ई. में ही मुक्तछंद में ' स्वप्न ' नाम से एक लम्बी कविता लिखी। आज विश्वविद्यालयों में इस विषय पर शोध की आवश्यकता है।
इसके पूर्व किरण ,राजकुमारी ,इला और प्रियंवदा ने मनमोहक स्वागत गीत प्रस्तुत किया। प्रथम सत्र का बीज वक्तव्य शोधार्थी प्रियंवदा ने तथा द्वितीय सत्र का शोधार्थी बालकिशोर ने दिया। शोधार्थी नेहा ने इस अवसर पर पोस्टर बनाकर प्रदर्शित किया। संचालन शोधार्थी विजय कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी रितिका उत्तम ने दिया।
इस अवसर पर राकेश कुमार के साथ ही शोधार्थी मंजू भारतीय, रूबी, भरत कुमार, नीतू कुमारी, पंकज कुमार, विश्वजीत कुमार, विभा द्विवेदी।, राकेश कुमार सोनिबाला, रामप्रकाश सर्वेश, इला और अन्य शोधार्थियों ने अपने विचार रखे।

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