इमरान हत्याकांड: अनुसंधान में त्रुटि का आरोपितों को मिला लाभ

इमरान हत्याकांड: अनुसंधान में त्रुटि का आरोपितों को मिला लाभ

जागरण संवाददाता,आरा: शहर के चर्चित बैग कारोबारी इमरान खान हत्याकांड में पटना हाईकोर्ट के फैसले से पुलिस के अनुसंधान को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने इस मामले में फांसी की सजा पाए दस आरोपितों को बरी कर दिया है। जिससे उन्हें राहत मिली है। हालांकि, नीचली अदालत ने इस मामले को रेयर आफ रेयरेस्ट बता उस समय जेल में बंद खुर्शीद कुरैशी सहित दस आरोपितों को फांसी की सजा सुनाई थी। सजा पाने वालों में खुर्शीद कुरैशी का भाई अब्दुल्ला भी शामिल था। ठीक 14 जून 2021 को कोर्ट ने सभी आरोपितों को हत्या, आपराधिक षड़यंत्र आर्म्स एक्ट और रंगदारी के लिए भय पैदा करने में दोषी पाते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सजा-ए- मौत सुनाई थी।

हत्या के ढाई साल बाद हुई थी सजा
हत्या की घटना के करीब ढाई साल बाद आरा सिविल कोर्ट में सभी दस आरोपितों को सजा सुनाई गई थी।मालूम हो कि छह दिसंबर 2018 को दिनदहाड़े शहर के धर्मन चौक स्थित शोभा मार्केट पर अंधाधुंध फार्यंरग की गई थी। उसमें दूध कटोरा निवासी बैग कारोबारी इमरान खान की मौत हो गई थी। इमरान के भाई अकील अहमद और एक बीएसएनएल कर्मी भी गोली लगने से जख्मी हो गए थे। घायल अकील अहमद के बयान पर टाउन थाना में खुर्शीद कुरैशी और उसके भाई सहित अन्य के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। उसमें कहा गया था कि उससे दस लाख रुपये रंगदारी की मांग की गई थी। पैसे देने से इंकार किया तो आरोपितों द्वारा उन पर अंधाधुंध गोली चलाई गई थी।हालांकि, विवाद के मूल में मार्केट का विवाद रहा था।
नौ मार्च को दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद नवम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार ने भादवि की धारा 387/34, 302/34, 307/34,120 (बी ) व 27 आम्र्स एक्ट तहत खुर्शीद कुरैशी उसके भाई अब्दुल्ला कुरैशी, नजीरगंज के राजू खान, रौजा मोहल्ला के अनवर कुरैशी, मिल्की मोहल्ला के अहमद मियां, खेताड़ी मोहल्ला के बब्ली मियां, तौशिफ आलम व फुरचन उर्फ फुचन मियां, रोजा के गुड्डू मियां व अबरपुल मुहल्ला शमशेर मियां को दोषी करार दिया था।
भाई की हत्या के दो महीने बाद ही कर दी गई थी बहन की हत्या
इधर, बैग कारोबारी की हत्या के दो महीने बाद ही उसकी बड़ी शबनम की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 26 फरवरी 2019 को दुध कटोरा माेहल्ला स्थित घर में घुसकर गोली मारी गई थी। घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। वह अपने भाई अकील मियां के घर पर आई हुई थी। जिसमें अलग से केस हुआ था। घर आए अपराधियों से उसकी बहन उलझ गई थी। दो गोली मारी गई थी।
उठ रहे सवाल, आखिर दोषी कौन ?
अनुसंधान एवं जांच रिपोर्ट में त्रुटियों का लाभ आरोपितों को मिलने के बाद सवाल उठ रहा कि आखिर गुनाहगार कौन है? क्योंकि नीचली अदालत से सभी आरोपितों को स्पीडी ट्रायल में सजा मिलने के बाद टाउन पुलिस ने खुद अपनी पीठ थपथपाई थी। अब जबकि, उच्च अदालत ने आरोपितों को बरी कर दिया है तो सवाल खड़े होने लगे है।

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