कृषि विभाग के वैज्ञानिकों ने सुनी किसानों की समस्या

कृषि विभाग के वैज्ञानिकों ने सुनी किसानों की समस्या

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद : कृषि विभाग आत्मा के द्वारा मंगलवार को संयुक्त कृषि भवन सभागार परिसर में दो दिवीसय कृषि वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। औरंगाबाद, बारून, ओबरा एवं देव प्रखंड के किसानों से कृषि एवं कृषि से जुडे़ समस्याओं पर किसानों एवं कृषि वैज्ञानिकों तथा पदाधिकारियों के बीच संवाद किया गया। अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों ने किसानों की समस्याओं को सुना। समाधान करने का उपाय बताया। जिला कृषि पदाधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि खरीफ मौसम में सुखाड़ के मद्देनजर आकस्मिक फसल योजना के तहत फसल लगाने पर विचार किया जा रहा है। अरहर, मक्का, उरद, आगत सरसो, आगत मटर, तोरिया, भींडी, मूली एवं कुल्थी का बीज प्रति किसानों को अधिकतम दो एकड़ खेतों में फसल लगाने के लिए निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। आनलाइन आवेदन के माध्यम से आकस्मिक फसल का बीज वितरण किया जाएगा। समय-समय पर कृषि विभाग के अधिकारी आकस्मिक फसल योजना के तहत खेतों में गाए गये फसल का निरीक्षण करेंगे। साथ ही उर्वरकों की उपलब्धता, कीट व्याधि रोग प्रबंधन, डीजल अनुदान योजना तथा किसानों के प्रशिक्षण एवं परिभ्रमण कार्यक्रमों पर चर्चा की गई। डीएओ ने बताया कि औरंगाबाद एवं बारून प्रखंड के कुछ पंचायत जो सोन नहर से सिंचिंत हैं में लगभग 90-95 प्रतिशत रोपनी हुआ है। देव में अल्प वंर्षा के कारण सिचाई का साधन नही होने के वजह से धान का रोपाई कम हुई है। कृषि विज्ञान केंद्र सिरिस के वैज्ञानिक डा. नित्यानंद ने बताया कि पिछले एक सप्ताह के अंतराल में रोपनी का प्रतिशत 36 से 64 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। बताया कि रबी फसलों की खेती के लिए एक निर्धारित योजना बनाकर ही किसानों को खेती करनी चाहिए। इसके तहत किसान को यह पता होना चाहिए कि इस मौसम में कौन सा फसल के लिए कौन सा बीज कब और कहां लगानी चाहिए। एक-एक कर किसानों ने अपनी समस्याओं को अधिकारियों के समक्ष रखा। अधिकारियों बखूबी से उसकी जानकारी दी। बेहतर तरीके से खेती करने का गुर सीखाया। कृषि वैज्ञानिक डा. अनूप चौबे, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण जावेद आलम, उपपरियोजना निदेशक शालीग्राम सिंह समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
नल से नहीं मिलता है जल, पानी के लिए बेचैन नागरिक यह भी पढ़ें

अन्य समाचार