पुरैना में 80 का दौर लौटने की आशंका: वर्चस्व को लेकर वर्षों तक चले हिंसक संघर्ष में आधा दर्जन से अधिक की हत्या



शेखपुरा, जागरण संवाददाता। शनिवार को शेखपुरा के पुरैना गांव में महज डेढ़ कट्ठा खेत के विवाद में तीन लोगों की हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद लोग इस आशंका से सहमे हुए हैं कि गांव में कहीं फिर ने 1980 के दशक वाला दौर न लौट आए। असल में 1980 के दशक में पुरैना गांव में दो पक्षों के आपसी वर्चस्व को लेकर कई वर्षों तक चले हिंसक संघर्ष में आधा दर्जन से अधिक लोगों की हत्या हो चुकी है।
बाद में 2001 में शेखपुरा के टाटी नरसंहार के पश्चात जब समूचे जिले में जातीय उन्माद अपना फन उठाने लगा तब तत्कालीन जिला पदाधिकारी आनंद किशोर ने अपनी तरफ से पहल करके पुरैना गांव के उक्त विवाद को समाप्त करने की पहल करके दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने का बड़ा काम किया था।

शेखपुरा के पुराने सामाजिक कार्यकर्ता दानी प्रसाद बताते हैं कि 1980 के दशक में पुरैना गांव के सार्वजनिक गैरमजरूआ पोखर से मछली मारने के लिए गांव के ही दो पक्षों में विवाद शुरू हुआ था, जो आगे चलकर हिंसक रूप ले लिया, जिसमें कई वर्षों तक चले घात-प्रतिघात में आधा दर्जन से अधिक लोगों की हत्या हो गई। अगर 2001 में जिला प्रशासन अपनी तरफ से पहल करके सुलह नहीं कराता तो यह विवाद आज तक जिंदा रहता और कई लोग इसके शिकार होते।
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शनिवार को तीन लोगों की हत्या के बाद पुरैना में फिर से वही पुराना हिंसक दौर शुरू होने की आशंका उत्पन्न हो गया है। खास करके एक व्यक्ति की हत्या के डेढ़ घंटे बाद दूसरे पक्ष के दो लोगों की हत्या से यह आशंका और बढ़ गई है। एसपी कार्तिकेय के शर्मा ने विवाद की मुख्य वजह भूमि विवाद बताया है। खेत का यह विवाद वास्तविक किसान के बटाईदार दो किसानों अदालत यादव और राम प्रवेश यादव द्वारा खेत की खरीद को लेकर शुरू हुआ है।
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मृतक के रिश्तेदारों ने बताया जिस वास्तविक किसान की बटाई रामप्रवेश करते थे उसको चुपके से अदालत यादव ने खरीद लिया और बाद में जिस खेत की बटाई अदालत यादव करते थे, उसे रामप्रवेश यादव ने खरीद ली।एसपी ने बताया कटारी गांव के किसान की जमीन अदालत यादव ने खरीदी थी। उसी किसान की बची हुई जमीन दोबारे अदालत यादव खरीदना चाहते थे, जिसे चुपके से रामप्रवेश यादव ने खरीद लिया था, जिसको लेकर दोनों पक्षों में विवाद चल रहा था।
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हत्या की वजह वर्षों पुराना भूमि विवाद तो है ही, मगर शनिवार को यह यह विवाद गांव में भैंस के गर्भाधान को लेकर शुरू हुआ था। ग्रामीणों से मिली जानकारी में बताया गया है रामप्रवेश अपनी भैंस को ट्रैक्टर में बांधकर बिरनामा से गर्भाधान करा रहा था। वहीं पास में गांव के सरपंच संजय यादव बैठे थे। भैंस को गर्भाधान के दौरान बिरनामा को नियंत्रित करने के लिए रामप्रवेश ने हवा में अपनी लाठी लहराई तब सरपंच संजय यादव ने उसे अपने पर ले लिए और संजय तथा रामप्रवेश में विवाद बढ़ गया।


इसी दौरान अदालत यादव सरपंच संजय की तरफ से विवाद में कूद पड़ा, जिसमें दूसरे पक्ष ने गोली फायर कर दी, जो सीधे अदालत यादव को लग गई। हालांकि, विवाद की इस कथित वजह की पुष्टि पुलिस या फिर किसी और पक्ष ने नहीं की है, मगर गांव के कई लोगों ने यह बात बताई। 
अदालत यादव की हत्या के बाद उग्र समर्थकों ने दूसरे पक्ष के लोगों को घर से खींचकर उनपर खंती और भाला, लाठी से हमला किया था, जिसमें पिता-पुत्र रामप्रवेश यादव और सार्जन यादव की भी मौत हो गई। परिवार के लोगों ने दोबारे घटना में हुई पिता-पुत्र की हत्या में पुलिस पर शिथिलता का आरोप लगाया और कहा अदालत यादव की हत्या के बाद पुलिस सतर्क रहती तो इन पिता-पुत्र की जान बच सकती थी।

बताया गया अदालत की मौत की सूचना के बाद सार्जन दूसरे व्यक्ति के घर के छज्जा पर छिपा हुआ था। अदालत की मौत से उग्र उनके समर्थकों ने दूसरे के छज्जे से सार्जन को खींचकर उनपर जानलेवा प्रहार कर दिया। खून से लथपथ सार्जन को खाट पर उठाकर लाने के लिए पिता रामप्रवेश तथा भाई रवीश जा रहे थे, तब रास्ते में बदमाशों ने इन दोनों पिता-पुत्रों पर भी हमला कर दिया।

तीनों पिता-पुत्र खून से लथपथ लगभग एक घंटे तक गली में पड़े रहे, मगर बदमाशों के भय से गांव का कोई व्यक्ति वहां तक जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। बाद में लखीसराय के बसमतिया गांव से रामप्रवेश के दामाद ने डीएम और एसपी को फोन करके इसकी सूचना दी तब कोरमा थाना की पुलिस पुरैना जाकर तीनों घायलों को सदर अस्पताल लाई।



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