मधुबनी: तकनीक के प्रयोग से आत्मनिर्भरता की नई पटकथा लिख रहीं मिथिला पेंटिंग कारीगर



कपिलेश्वर साह, मधुबनी। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसे ऑनलाइन इंटरनेट मीडिया मंचों के आभासी बाजार में मिथिला पेंटिंग रंगत बिखेर रही है। यहां सतरंगी कलाकृतियों का वैविध्य संसार और पारंपरिक भावों का सुमेल है।
कोरोना संक्रमण काल में शुरू हुआ आभासी बाजार अब मिथिला पेंटिंग को व्यापक विस्तार दे रहा है। दुकान, संस्थागत और प्रदर्शनी के माध्यम से जिस मिथिला पेंटिंग का वार्षिक कारोबार करीब पांच करोड़ का है, उसमें करीब एक करोड़ की हिस्सेदारी आभासी बाजार की है।

पद्मश्री से सम्मानित दुलारी देवी का कहना है कि जो ग्रामीण कलाकार पहले पेंटिंग की बिक्री के लिए व्यवसायियों पर निर्भर थे, अब खुद से व्यवसाय कर रहे हैं। मोबाइल पर आर्डर आता है और खाते में पैसा। न कोई हिचक है, न ही बाधा।
मिथिला की रंगत में साड़ियों पर उकेरी पेंटिंग होली में रंग भरने को तैयार है। साड़ी, सूट, कुर्ती, कुर्ता, दुपट्टा आदि परिधान पर राधा-कृष्ण रास, गोपियों संग मस्ती, माता सीता का स्वयंवर, राजा जनक की फुलवारी में फूललोढ़ी और डोली पर माता की विदाई का चित्रण अद्भुत और अतुलनीय है।

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से 500 से अधिक महिलाओं ने मिथिला पेंटिंग वाली साड़ी, दुपट्टा, सलवार-सूट, कुर्ती और कुर्ते की आनलाइन मांग भेजी है। इसे पूरा करने के लिए कलाकारों की टोली बीते एक माह से काम कर रही है।
साड़ी के लिए दो से चार हजार रुपये, सूट, कर्ता व कुर्ती के लिए पांच सौ से एक हजार और दुपट्टे के लिए तीन से सात सौ रुपये लिए जा रहे हैं। होली में मिथिला पेंटिंग वाले कपड़ों का कारोबार आठ से 10 लाख तक होने का अनुमान है।

कलाकार गिरिजा देवी का कहना है कि पर्व-त्योहार में मिथिला की पेंटिंग युक्त कलात्मक परिधान पहनने का चलन बढ़ा है। पहले छठ-दीपावली और मिथिला क्षेत्र के तीज-त्योहार में मिथिला पेंटिंग युक्त साड़ियों की मांग होती थी।
अब होली में मांग आई है। ऑनलाइन कारोबार की सुविधा और विस्तार मिलने से कलाकारों में उत्साह बढ़ा है। कला की पहुंच होने से देश की महानगरीय संस्कृति में भी सतरंगी देसी परंपरा छटा बिखेर रही है।

मधुबनी के रांटी की कलाकार रेखा देवी बताती हैं कि यह पहला मौका है, जब होली में मिथिला पेंटिंग कलाकार व्यापक स्तर पर मांग पूरी करने में जुटी हैं। बीते वर्ष दुर्गापूजा में कोलकाता से मिथिला पेंटिंग वाली साड़ियों की मांग आई थी।
इसमें माता दुर्गा और काली की छवि के अलावा फूल, उल्लू, बतख, चूहा और मछलियों की पेंटिंग प्रमुख थी। होली के लिए राधा-कृष्ण रास, गोपियों के साथ भगवान कृष्ण की मस्ती, डांडिया, सीता स्वयंवर के चित्रण की मांग आई है।

देहरादून से भेजी गई मांग में गीता का ज्ञान देते भगवान कृष्ण, हाथ जोड़े अर्जुन, भगवान गणेश, महादेव सहित अन्य धार्मिक प्रसंग शामिल हैं।भुवनेश्वर की अनुजा मिश्र का कहना है कि खुद की डिजाइन व कपड़ा देने से पसंद का काम होता है।
हम जो चाहे पेंटिंग कर सकती हैं। डिजाइन व्हाट्सएप और कपड़े कुरियर से भेज दिया जाता है। निर्धारित भुगतान कर पेंटिंग वाले कपड़े मंगा लिए जाते हैं।


होली में कपड़ों की आ रही डिमांड मिथिला पेंटिंग की बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है। सैकड़ों कलाकारों को घर बैठे रोजगार मिल रहा है। ऑनलाइन कारोबार ने इसे विस्तार दिया है। -बीके झा, सहायक निदेशक, हस्तशिल्प विभाग, मधुबनी

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