बेगूसराय: दोस्त का मजाक शशिकांत के लिए बना मंजिल की राह, पहले साइकिल थिएटर का मिला खिताब



अजीत कुमार झा, तेघड़ा (बेगूसराय)। साइकिल पर तिरंगा, डफली और दुपट्टे की जुगलबंदी से रंगकर्मी शशिकांत ने नई इबारत लिख डाली। हताशा का दौर भी आया।
पैसे की किल्लत से जूझ रहे कलाकार दिल को जब बाहर घूमने की इच्छा हुई, तो इनके अभिनेता दोस्त ने मजाक में ही कह दिया, पैसे नहीं तो साइकिल से ही निकल जाओ।
फिर क्या था, कलाकार दिल जाग उठा, हताशा टूटी और साइकिल उठाकर दुनिया को शांति का संदेश देने निकल पड़े। तेघड़ा से दार्जलिंग तक की यात्रा साइकिल से की।

इस दौरान उन्होंने एकल अभिनय कर डफली और दो दुपट्टे के माध्यम से लोगों को शांति और मानवता का संदेश दिया। इनके काम पर इंफ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की नजर पड़ी।
संस्था की ओर से 28 जनवरी 2023 को विश्व का पहला साइकिल थिएटर का प्रमाण पत्र भेजा। अब शशिकांत एकल एवं टीम अभिनय के साथ ही बच्चों को अभिनय के गुर सिखा रहे हैं।
तेघड़ा प्रखंड की पिपरा दोदराज पंचायत के नोनपुर निवासी रंगकर्मी शशिकांत को अभिनय की प्रेरणा गांव के ही रंगकर्मी दुलारचंद राउत से मिली।
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उन्होंने भोपाल से 2013-14 में एक वर्ष का अभिनय का कोर्स किया। इसके बाद उन्होंने मिथिला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
पिता ग्रामीण चिकित्सक एवं माता कुशल गृहिणी हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे अलग-अलग टीमों के साथ देश भर में घूम-घूम कर नाटक करने लगे।
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इसी दौरान एक कार्यक्रम में उनके सहयोगी रंगकर्मी भी अभिनय के लिए गांव पहुंचे। उनसे शशिकांत ने अपनी व्यथा सुनाई। कहा, सोच रहा हूं कुछ दिनों के लिए कहीं घूमने निकल जाऊं, पर पैसे नहीं हैं।
इस पर दोस्त ने मजाक में ही कह दिया, पैसे नहीं तो साइकिल से ही निकल जाओ। कलाकार का दिल जाग उठा और दुनिया को शांति और मानवता का संदेश देने के लिए साइकिल पर तिरंगा लगाकर निकल पड़े।
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गांव में विरोध के साथ ताने भी सुनने पड़े। तेघड़ा से दार्जलिंग तक की साइकिल यात्रा की। जगह-जगह रुककर लोगों को शांति और भाईचारे का संदेश नाटक के माध्यम से दिया।
अभिनय के दौरान इनके हाथ में डफली और दो दुपट्टा होते थे। हर जगह लोगों ने भोजन के साथ आर्थिक सहयोग दिया।

साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के घर पर चार दिन रुके। कोरोना का दौर शुरू हो गया और उनकी यात्रा भी स्थगित हो गई।
शशिकांत के काम पर इंफ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की नजर पड़ी। उनके काम से प्रभावित होकर संस्था ने 28 जनवरी 2023 को विश्व के पहले साइकिल थिएटर के खिताब से नवाजा।

इस बाबत उन्हें पत्र भेजा गया, जो उन्हें 27 फरवरी 2023 को प्राप्त हुआ। उनकी इस उपलब्धि पर परिवार के साथ ही गांव में खुशी का माहौल है।
उनकी उपलब्धि पर शिक्षक पंकज कुमार, प्रमोद महतो, शिव कुमार, रमेश कुमार, अमरेश कुमार, ग्रामीण सुबोध भारती, मंटुन, रंगकर्मी रंजीत कुमार, अमित कुमार आदि ने शुभकामनाएं दी है।

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