रोहतास के युवक बने प्रेरणा, परदेस जाने के बजाय पढ़े-लिखे युवा कर रहे सब्जी की खेती, हर महीने 50 हजार तक कमाई



शिवेश कुमार, सूर्यपुरा (रोहतास)। रोहतास जिला धान के कटोरे के नाम से प्रसिद्ध है। यहां की उपजाऊ मिट्टी और अच्छी सिंचाई व्यवस्था होने से आज धान के कटोरे के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक परदेश जाने के बजाय घर में रहना पसंद कर रहे हैं। वे यहां सब्जी की खेती कर अपनी तकदीर संवार रहे हैं।
सूर्यपुरा के युवक प्रखंड की नई पहचान बना रहे हैं। कई गांवों के शिक्षित युवा पिछले तीन साल से सब्जी की खेती कर अपनी समृद्धि का द्वार खोल रहे हैं। बारून टांड़ गांव के लोगों ने बताया कि पहले यहां के दर्जनों युवा गुजरात, पंजाब की फैक्ट्रियों में काम करने जाते थे, लेकिन सब्जी की खेती ने अब उन्हें परदेश से घर लौटा दिया है।

ग्रामीणों के अनुसार, प्रतिदिन यहां सब्जी के लिए बाहर के व्यापारियों के वाहन आते हैं। यहां के युवा हर महीने औसतन 40 से 50 हजार रुपये सब्जी की खेती से कमाते हैं। खेती करने वालों में मैट्रिक, स्नातक और अन्य डिग्रीधारी दर्जनों युवा शामिल हैं।
सूर्यपुरा थाना क्षेत्र के ढोढ़नडीह और बारूनटांड़ के किसान परिवार के भरण पोषण के लिए अन्य प्रदेशों में गए युवक अब स्वदेश लौट आए हैं। वे मिर्ची, टमाटर समेत अन्य हरी सब्जियों की खेती कर न सिर्फ अपने परिवार की किस्मत संवार रहे हैं बल्कि दूसरे युवाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बने हैं।


बता दें कि सूर्यपुरा पंचायत के बारूनटांड निवासी कृष्णा सिंह की माली हालत काफी खराब थी। परिवार का भरण-पोषण कैसे हो यक्ष सवाल बना हुआ था। ऐसे में उनके दो पुत्र शिवशंकर सिंह और रविशंकर सिंह गुड़गांव, हरियाणा और दूसरा बहादुरगढ़ की निजी फैक्ट्री में काम कर परिवार का जीविका चलाते थे।
पिता ने घर पर रहकर ही सब्जी बेचने का काम शुरू किया। इसी क्रम में, उनके दोनों बेटों को कोरोना के दौरान लॉकडाउन के कारण घर लौटना पड़ा था। यहां बेरोजगार होने के कारण घर की माली हालात फिर से दयनीय होने लगी। तब दोनों ने दूसरे किसानों को देख मिर्ची की खेती करने की योजना बनाई और पिता-पुत्र ने मिलकर खेती का कार्य शुरू कर दिया।

पिता-पुत्र ने पहली बार में नगदी दस कट्ठा, फिर एक बीघा नकदी लेकर सबसे ज्यादा मिर्ची की खेती की। इसके अलावा गाजर, प्याज, मूली, आलू, बैंगन आदि सब्जियों की भी खेती शुरू कर दी। आज परिवार खुशहाल है।
वहीं, ढोढनडीह गांव के बड़े सिंह, मुलुक राज परदेश से स्वदेश लौट सब्जी की खेती कर अच्छी-खासी आमद कर रहे हैं। इनके अलावा तपेश्वर सिंह, कमल कुमार, दिनेश सिंह आदि ने चार से सात बीघे तक टमाटर, मिर्ची आदि की खेती कर रहे हैं।

इन युवा किसानों ने बताया कि अब वह स्वदेश की मिट्टी में ही रहकर सब्जी की खेती कर स्वरोजगार को अपना लिए हैं, जिससे परिवार में एक बार फिर से रौनक लौट आई है। अगर क्षेत्र के किसान समूह बनाकर सब्जी या वैज्ञानिक तरीके की अन्य खेती करते हैं, तो पंजीकृत कृषक समूहों के लिए सरकार द्वारा अनुदान का प्रविधान है।
कृषि समन्वयक अखिलेश कुमार सिंह ने किसानों को कृषकों का सिंडिकेट बना उन्नत खेती करने का परामर्श दिया, जिससे किसान सरकार द्वारा मिलने वाले अनुदान से लाभान्वित हो सकें।

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