Kosi MLC Election: पिता के छक्के के बाद पुत्र का चौका, डॉ. संजीव सिंह ने प्रतिद्वंदियों को बड़े अंतर से दी मात



मनोज कुमार, पूर्णिया: कोसी क्षेत्रीय शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में डॉ. संजीव कुमार सिंह का दबदबा कायम रहा। इस बार जदयू प्रत्याशी के रूप में मतों के बड़े अंतर से उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को मात दी है। स्थिति यह रही कि उनके मुकाबले में उतरे सारे प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई।  यह संजीव की लगातार चौथी जीत है।  इससे पूर्व उनके पिता डॉ. शारदा सिंह लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

डॉ. शारदा सिंह कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से लगातार छह टर्म एमएलसी रहे। छठे और अंतिम टर्म का कार्यकाल वे पूर्ण नहीं कर पाए। तय कार्यकाल से करीब दो वर्ष पहले 2008 में उनका निधन हो गया। 2009 में मध्यावधि चुनाव हुआ और तकरीबन डेढ़ साल के बचे कार्यकाल के लिए कोसी निर्वाचन क्षेत्र विधान परिषद क्षेत्र से जुड़े शिक्षकों ने संजीव को अपना प्रतिनिधित्व दिया। इसके बाद संजीव ने कभी मुड़कर नहीं देखा। अपने पिता की तरह वे भी इस क्षेत्र के शिक्षकों के चहेते प्रतिनिधि बने हुए हैं।
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डॉ. संजीव सिंह के पिता डॉ. शारदा सिंह की इस क्षेत्र के शिक्षकों में गहरी पैठ थी। वे शिक्षकों की छोटी-बड़ी समस्याओं को विधान परिषद में संजीदगी से उठाते थे तथा सरकार पर उसके समाधान के लिए दबाव बनाते थे। इसी के चलते वे अजेय शिक्षक प्रतिनिधि बने रहे तथा अंतिम सांस तक एमएलसी रहे। 1974 में हुए एमएलसी चुनाव में पहली बार वे कोसी शिक्षक क्षेत्र से प्रतिनिधि चुने गए थे। उसके बाद शिक्षकों से उनका ऐसा जुड़ाव हुआ कि जीवन पर्यंत वे उनका प्रतिनिधित्व करते रहे। 1974 से लगातार 35 वर्षों तक वे इस क्षेत्र से एमएलसी रहे।
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इस क्षेत्र के शिक्षकों के बीच डॉ. शारदा सिंह ने जो साख बनाई थी, वह उनके पुत्र डॉ. संजीव सिंह के काम आई। पहली बार 2009 में मध्यावधि चुनाव में शिक्षकों ने काफी मतों से संजीव को जीत दिलवाई। तबसे उन्होंने अपने पिता की बनाई साख को बरकरार रखा है। कई शिक्षक तो यह भी कहते हैं कि पिता से भी अधिक मजबूती से संजीव उनके लिए खड़े होते हैं और उनके मुद्दों को सदन तक उठाते हैं। यही कारण है कि वे हर बार चुनाव जीत रहे हैं।

इस बार पहली बार दलीय आधार पर हुए विधान परिषद चुनाव में जदयू ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था, जिस पर वे पूरी तरह खरे उतरे हैं। उन्होंने बड़े मतों के अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को मात दी है। वहीं भाजपा के उम्मीदवार को पांचवें स्थान से संतोष करना पड़ा है।

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