जमुई: एमपी एमएलए कोर्ट से पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश समेत नौ रिहा, केस करने वाले इंस्पेक्टर बयान से मुकरे



आरके सिंह, जमुई। जमुई के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अमरेंद्र कुमार ने 2005 के चर्चित जयप्रकाश व विजय प्रकाश मामले में सभी नौ आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया।
न्यायालय की सख्ती के बाद कोर्ट में गवाही के लिए आए खैरा थाना कांड संख्या 185/ 2005 के सूचक इंस्पेक्टर शाहिद अख्तर ने न्यायालय में जो बयान दिया, वह मुकदमे को समाप्त करने का अंतिम मार्ग साबित हुआ।

लंबे समय से गवाही के लिए एफआईआर करने वाले जमुई के तत्कालीन इंस्पेक्टर और खैरा थाना के थाना प्रभारी के रूप में मुक्तेश्वर प्रसाद को सस्पेंड कर दिया गया था। 
प्रसाद के बाद पदभार ग्रहण करने वाले शाहिद अख्तर ने भी टालमटोल के बाद न्यायालय में अपने बयान में कहा कि एफआईआर में जो आवेदन दिया गया है, उसमें मैंने लिखे हुए कागज पर हस्ताक्षर किया था।
उन्होंने कहा कि जिस आवेदन पर एफआईआर दर्ज की गई, वह आवेदन भी किसकी लिखावट में है, उसे वह नहीं पहचानते और घटना से भी पूरी तरह अनजान हैं।
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अब रिटायर हो चुके जमुई के तत्कालीन इंस्पेक्टर शाहिद अख्तर की न्यायालय में दी गई इसी गवाही ने खैरा थाना कांड संख्या 185 /2005 के प्रमाणिकता को ही समाप्त कर दिया।
इसके आधार पर 18 साल बाद लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद सभी नौ नामजद लोगों को साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने रिहा कर दिया।
2005 में विधानसभा चुनाव के दौरान 18/10/2005 को राजद प्रत्याशी के रूप में विजय प्रकाश को पुलिस ने हथियार, शराब और 6,68,000 नगदी के साथ गिरफ्तार किया था।
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इस संबंध में खैरा थाने में कांड संख्या 183/2005 दर्ज किया गया था। इसी मामले में विजय प्रकाश से मिलने पहुंचे उनके बड़े भाई और तत्कालीन मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने अपने भाई विजय प्रकाश को छुड़ा लिया।
इस घटना में तत्कालीन खैरा थाना प्रभारी मुक्तेश्वर प्रसाद को एसपी अरविंद कुमार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था और उसी रात जमुई के तत्कालीन इंस्पेक्टर शाहिद अख्तर खैरा थाना के प्रभारी बनाए गए थे।
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एक नया मुकदमा खैरा थाना कांड संख्या 185/2005 दर्ज किया गया। इस मामले में जयप्रकाश नारायण यादव, विजय प्रकाश, त्रिवेणी यादव, रामदेव यादव, अशोक राम, बटोही यादव, इलियास खान, निहाल फखरुद्दीन उर्फ नीला और तत्कालीन थाना प्रभारी मुक्तेश्वर प्रसाद को नामजद करते हुए अभियुक्त बनाया गया था।
इस मामले की इतनी चर्चा हुई कि बिहार में चुनाव परिदृश्य ही बदल गया। लंबे समय तक उतार-चढ़ाव के बाद यह मामला एमपी एमएलए के लिए बनाए गए विशेष अदालत में भेजा गया।

जहां सुनवाई के लिए लगातार टालमटोल के बाद न्यायालय की सख्ती पर एफआईआर करने वाले इंस्पेक्टर शाहिद अख्तर न्यायालय में गवाही के लिए उपस्थित हुए।
उन्होंने एफआईआर की प्रमाणिकता पर ही सवाल खड़ा कर दिया और केस को समाप्त कर दिया। ऐसे में साक्ष्य के अभाव में सभी को न्यायालय ने रिहा कर दिया।


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