वाह रे शिक्षा विभाग... शिक्षक साल भर रहे गैर हाजिर-दे चुके इस्‍तीफा, जिनका न नाम और न योगदान, सबको मिला वेतन



संवाद सहयोगी, जमुई : गड़बड़झाला के लिए एक बार फिर शिक्षा भवन सुर्खियों में है। इस बार भी शिक्षकों के वेतन भुगतान से जुड़ा मामला है। यहां 30 से अधिक फर्जी एवं ड्यूटी से गायब रहने वाले शिक्षकों को तकरीबन पांच करोड़ से अधिक की राशि भुगतान कर दी गई है।
 हास्यास्पद स्थिति तो यह है कि वेतन भुगतान ऐसे शिक्षकों के खाते में भी किया गया है, जिनका न नियोजन कभी हुआ और न ही उस नाम के शिक्षक ने कहीं योगदान दिया। इसके अलावा, विद्यालय से लंबे अरसे तक गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों के प्रति भी दरियादिली दिखाई गई है। इस मामले में शिकायत पत्र के आधार पर जांच चल रही है। तीन माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी जांच की गति जरा भी आगे नहीं बढ़ पाई है। यहां आरोपी शिक्षक के साथ-साथ शिक्षा विभाग के अधिकारी ने भी जांच में असहयोगात्मक रवैया अख्तियार कर रखा है।

अनुमंडल पदाधिकारी ने खुद से जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र प्रेषित कर डीपीओ को फिर से तलब किया है। अब देखने वाली बात यह है कि अनुमंडल पदाधिकारी के पत्र का कोई असर होता भी है या नहीं। बहरहाल इस जांच को लेकर शिक्षा विभाग से लेकर शिक्षक समुदाय के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है। जांच पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि संबंधित शिक्षकों एवं डीपीओ स्थापना को दो-दो बार पत्र प्रेषित कर बुलाया गया, लेकिन तीन-चार शिक्षकों को छोड़कर किसी ने भी अब तक ना ही अपना पक्ष रखा और ना ही कोई कागजात प्रस्तुत किए हैं। स्थापना पदाधिकारी भी कोई अभिलेख उपस्थापित नहीं कर सके हैं।
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 स्थापना डीपीओ शिवकुमार शर्मा बताते हैं कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की अनुशंसा पर सभी शिक्षकों को वेतन भुगतान किया गया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं।
दरअसल, यह सब खेल फर्जी प्रमाण पत्र पर नियोजित शिक्षकों के मामले में हाई कोर्ट के एक आदेश की आड़ में चल रहा है। उच्च न्यायालय ने फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे काम करने वाले शिक्षकों को काम की अवधि का वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया था। इसके बाद ही ड्यूटी से गैरहाजिर रहने वालों को भी वेतन भुगतान करने का खेल शुरू हुआ। इसी कड़ी में प्रधानाध्यापकों की जानकारी के बगैर वेतन भुगतान की बात कहीं जा रही है।
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केस स्टडी- 1
उत्क्रमित मध्य विद्यालय थम्हन में सुधांशु कांति कश्यप को 20 लाख रुपये वेतन भुगतान कर दिया गया। इन्होंने फर्जी प्रमाणपत्र के कारण पहले ही त्यागपत्र दे दिया था।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अमझरी में राजेश कुमारी का नियोजन हुआ था, लेकिन योगदान नहीं हो सका। नियोजन के समय से ही गैरहाजिर शिक्षक राजेश कुमारी के नाम पर वेतन भुगतान बलथर निवासी राजेश सिंह के खाते में हस्तांतरित कर दिया गया।
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एक ही प्रमाण पत्र पर नवसृजित प्राथमिक विद्यालय अडवड़िया तथा नवसृजित प्राथमिक विद्यालय खैरागढ़ पश्चिम में कार्यरत शिल्पा कुमारी को वेतन मद में 10 लाख रुपये भुगतान किए गए।
ढोढरी पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय सरधोडीह में विभा कुमारी को कार्यरत दिखाकर दस दस लाख कर दो बार में 20 लाख रुपए का भुगतान किया गया, जबकि उक्त विद्यालय में उक्त नाम की किसी शिक्षिका का ना तो नियोजन हुआ और ना ही योगदान हुआ।

उत्क्रमित मध्य विद्यालय दहियारी मोदी टोला में नियोजित मनोज कुमार यादव योगदान के बाद से ही गैरहाजिर रहे। इसके बाद भी इन्हें वेतन भुगतान मद में 10 लाख रुपये भुगतान किए गए।
नवसृजित प्राथमिक विद्यालय बलिया डाबर में प्रियंका कुमारी को भी वेतन का लाभ दिया गया। विद्यालय में इस नाम की कोई शिक्षक या शिक्षिका है ही नहीं।
जांच में स्थापना डीपीओ एवं संबंधित शिक्षक सहयोग नहीं कर रहे हैं। दो बार पक्ष रखने के लिए पत्र प्रेषित किया गया, लेकिन न ही पक्ष और ना ही कोई अभिलेख प्रस्तुत किया गया। अनुमंडल पदाधिकारी के स्तर से एक बार फिर से पत्र प्रेषित किया गया है।

-मनोज कुमार सिंह, कार्यपालक दंडाधिकारी, जमुई
फर्जी एवं ड्यूटी से गैरहाजिर शिक्षकों के वेतन भुगतान से संबंधित मामला उनके संज्ञान में नहीं है। इसकी तहकीकात कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
-अश्विनी कुमार, क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक, मुंगेर


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