कोरोना वायरस और डेंगू के बीच हुई तीखी बहस

डेंगू - नमस्ते कोरोना भाई! क्या बात है उदास बैठे हो?

कोरोना - नमस्ते भाई डेंगू। मेरी कोई इज्जत ही नहीं हो रही इसलिए।
डेंगू - इज्जत ही नहीं हो रही ? तुम्हारे तो पूरी दुनिया भर में जलवे हैं। जहां जा रहे हो लोग डर कर बस कोरोना कोरोना ही जप रहे हैं।
कोरोना - यार डेंगू, तुम्हारे देश इंडिया में मेरी कोई इज्जत नहीं कर रहा। जिसे देखो वही मेरे ऊपर जॉक मार रहा है।
डेंगू - हां भाई ,दरअसल हम भारतीय फिक्र को धुएं में और तकलीफ को हंसी में उड़ाने में माहिर होते हैं।वैसे भारतीय मीडिया पर छाए हुए हो यार!
कोरोना - हम्म,लोग तो मीडिया का ही माखौल उड़ाते रहते हैं।फिर मेरी क्या हस्ती!अच्छा यह बताओ ,तुम्हारे यहां तो ' अतिथि देवो भव ' कहा जाता है न! फिर मेरे साथ ऐसा क्यों?
डेंगू - भाई ऐसा है कि तुम एक वामपंथी देश को पैदाइश हो और यहां गवर्मेंट इसके ठीक उलट दक्षिणपंथ की है।
कोरोना - लेकिन यहां के चंद वामपंथी भी मुझे नहीं पूछ रहे।
डेंगू - वे भारतीय वामी हैं भाई। अपने देश से गद्दारी नहीं कर सकते।
कोरोना - फिर मुझे तुम्हारा देश जल्दी ही छोड़ने को मजबूर होना पड़ेगा।
डेंगू - हां भाई,जितनी जल्दी हो सके चले जाओ।नहीं तो लोग तुम्हें धतूरा खिलाना शुरू कर देंगे।
कोरोना - अब यह धतूरा क्या है ?
डेंगू - खाते ही पगला जाओगे। हमारे भोले बाबा ही हैं जो खाकर पचा सकते हैं और कोई ऐसा नहीं कर सकता।
कोरोना - उनके पास गंगा है डेंगू भाई।हर तरह से शीतल करने वाली,हर जहर को अपने में समाहित करने वाली।
डेंगू - बहुत ज्ञानी ही भाई। वैसे गंगा तो हर भारतीय के पास भी है।
कोरोना - भूलो मत ,हिंदी चीनी भाई भाई।
डेंगू - अबे पागल बनाता है चमगादड़ की औलाद! साले भाग वरना चमगादड़ की तरह उल्टा लटका तुझ पर चढ़ जाऊंगा।
कोरोना - जाता हूं। लेकिन अब कभी नहीं आऊंगा। तुम बुलाओगे तब भी नहीं।
डेंगू - भाग जल्दी। हम तुझे बुलाएंगे नहीं भुलायेंगे।

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