सेक्स, स्पर्म और बांझपन से जुड़े हैं ये मिथक और इनकी सच्चाई

सेक्स स्पर्म और बचपन से जुड़े यह पांच तक कई मामलों में मां की गोद सूनी कर जाते हैं। अपने समाज में ऐसी स्थिति में कई सारे मृतक पक्ष लेते हैं ऐसे में यह जरूरी नहीं होता कि हम इनफर्टिलिटी कंसलटेंट की बातों पर गौर करें उन मिथकों को पीछे छोड़ते हुए आगे की ओर कदम बढ़ाने ऐसा ना करने की सूरत में यह मिथक ही आपको सबसे ज्यादा ठेस पहुंचाते हैं तो चलिए आपको बताते हैं।

मिथक- पीरियड्स का समान होना भी इनफर्टिलिटी की एक बड़ी वजह होती है।
जबकि सच बात तो यह है कि पीरियड के समान होने का मतलब होता है कि स्त्री बीज जनन की प्रक्रिया समान है। कुछ महिलाओं में मासिक धर्म का चक्र 40 दिनों का होता है इसकी संख्या में दिनोंदिन भरने का मतलब होता है किस की प्रजनन क्षमता में कमी आ रही है इसलिए अगर इसमें देरी हो रही है तो इन बातों को बारीकी से नजर रखनी होती है।
मिथक मेरी शक्ल ही बेहतर है तो मेरे स्पर्म की संख्या समान होगी। सच बात तो यह है कि निर्णय क्षमता और आदमी के फॉल क्षमता के बीच कोई संबंध नहीं होता। बहुत सारे मेल बेहतर सेक्स लाइफ जीते हैं लेकिन उनके स्पर्म काउंट सही तरीके से नहीं होते हैं।
मिथक हर बार की जांच में मेल के स्पर्म की संख्या एक समान आएगी। जबकि सच बात तो यह है कि हर बार की जांच में ईमेल के स्पर्म की संख्या अलग-अलग आ सकती है। बीमारियों दवाओं के इस्तेमाल के कारण इसमें कई बार फर्क देखा जाता है।
मिथक दोस्त परिवार अखबारों में विज्ञापन हो टीवी विज्ञापन की जानकारी के लिए पर्याप्त स्त्रोत है। जबकि सच बात तो यह है कि सही तरीके से उपचार और उपचार के बाद लाभ के लिए यह स्त्रोत प्रयास नहीं होते हैं। आपका इसके लिए इस दुनिया से निकल कर वास्तविक दुनिया में प्रवेश करना ही बेहतर होता है।

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