जागरण संवाददाता, खगड़िया: खगड़िया की आर्थिकी का मूल आधार कृषि और पशुपालन है। यहां के 70 प्रतिशत लोग कृषि व पशुपालन से जुड़े हुए हैं। जिले में न तो कृषि आधारित उद्योग है और न ही दूध आधारित कोई उद्योग अब तक लग सका है। जिले में चार लाख के करीब गाय और भैंसें हैं। प्रत्येक दिन औसतन दो लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। दूध के कारोबार को लेकर पूरे जिले में छह सौ से अधिक दुग्ध समितियां संचालित है। पशुपालकों का दूध ये समितियां खरीदती है और उसे दूसरे जिलों के डेयरियों में भेजती हैं। परंतु जिले में अब तक डेयरी को लेकर पहल नहीं हुई है। संसारपुर दुग्ध शीतक केंद्र अवश्य है। यह बरौनी डेयरी के अधीन है। वहां से दूध बरौनी डेयरी भेजा जाता है। जिले में अगर मिल्क डेयरी स्थापित हो जाती है, तो पशुपालकों को सीधा लाभ पहुंचेगा। जिले में रोजगार का सृजन होगा। जबकि आसपास के जिलों में डेयरी है। लेकिन रोजाना दो लाख लीटर दूध उत्पादन करने वाले खगड़िया के किसान-पशुपालक इसके मोहताज बने हुए हैं। पर माह लाखों रुपये के दूध बाहर के जिलों में भेजे जा रहे हैं। तत्कालीन डीएम अभय कुमार सिंह के समय मिल्क डेयरी निर्माण के लिए दुग्ध शीतक केंद्र संसारपुर में सामान भी गिराया गया था। हालांकि बाद में वह बरौनी वापस लौट गया। फिर उसके बाद कोई पहल नहीं हुई। जिले में अगर मिल्क डेयरी स्थापित हो जाती है, तो पशुपालकों को सीधा लाभ पहुंचेगा।
खगड़िया जिला दुग्ध उत्पादन में सूबे के टाप फाइव जिले में शामिल है। कम दूध उत्पादन करने वाले जिलों में मिल्क डेयरी संचालित है। पर खगड़िया में डेयरी की स्थापना नहीं हुई है। 60 से 70 करोड़ रुपये का है कारोबार जिले में प्रत्येक माह 60 से 70 करोड़ के दूध का कारोबार होता है। यह आंकड़ा बरौनी डेयरी की है, जो पशुपालकों को दूध के बदले भुगतान करती है। दुग्ध शीतक केंद्र, संसारपुर, खगड़िया के कर्मी बताते हैं कि बरौनी डेयरी के तहत छह सौ से अधिक समिति है। समिति के माध्यम से दूध पहले शीतक केंद्र आता है। जहां से दूध ठंडा कर डेयरी भेजा जाता है। समिति के साथ जगह जगह दूध कलेक्शन सेंटर मतलब फैट खुलने से किसानों को दूध बिक्री में सुविधा हुई है। निर्धारित दर के अनुसार पशुपालकों को दूध के पैसे भी समय से मिलते हैं। माह में तीन बार हिसाब कर दुग्ध समिति के खाते में भुगतान किया जाता है। पशुपालकों से संबंधित नहीं है उद्योग
जिले में व्यापक स्तर पर पशुपालन के साथ दूध उत्पादन होता है। न तो दूध उत्पादन के लिए कोई डेयरी या उद्योग है और न ही पशुपालन से संबंधित उद्योग है। बीते वर्षों में दो करोड़ की लागत से खगड़िया दुग्ध शीतक केंद्र का विकास किया गया है। बरौनी डेयरी के द्वारा ही महेशखूंट में पशु आहार कारखाना खोले जाने की प्रकिया की जा रही है। जिसका उदघाटन अब तक नहीं हो सका है। लगे उद्योग तो बढ़ेंगे रोजगार के अवसर किसान नेता रंजन कुमार व धीरेंद्र सिंह के अनुसार अगर खगड़िया में मिल्क डेयरी की स्थापना हो जाती है, तो फरकिया की तस्वीर बदल जाएगी। पशुपालन की तस्वीर बदलेगी। रोजी और रोजगार में वृद्धि होगी। खगड़िया दुग्ध शीतल केंद्र को भी डेयरी का दर्जा दिया जा सकता है। इससे जहां एक तरफ पशुपालकों को लाभ होगा, वहीं युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। इस दिशा में पहल होनी चाहिए।