Chhapra: 20 हजार की नौकरी छोड़ 30 लोगों को दिया रोजगार; लोन लेकर सुनील कर रहे सलाना 2.5 करोड़ का कारोबार



छपरा, जागरण संवाददाता। घर परिवार को देखने के लिए मुंबई में एक निजी प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले सारण के गड़खा मरीचा निवासी सुनील कुमार सिंह 20 हजार की नौकरी छोड़ कर अब राइस मिल चला रहे हैं। अपनी नौकरी का मोह छोड़कर सुनील ने दूसरों के लिए रोजगार पैदा कर दिया है। इनकी उद्यमी बनने की कहानी भी दिलचस्प है। वर्ष 2016 में उन्होंने नौकरी छोड़ अपने गांव आकर घर-परिवार के साथ रहने का फैसला लिया। शुरुआती दौर में उन्होंने गड़खा में हरियाली कृषि केंद्र के नाम से खाद बीज की दुकान खोली। इस दौरान वे किसानों के संपर्क में आए। वहीं से किसानों से धान खरीदने का भी सिलसिला शुरू हुआ।


उन्होंने 2017 में राइस मिल लगाने का निर्णय लिया। इसके लिए उद्योग विभाग से संपर्क कर प्रधा मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम के तहत 25 लाख रुपए ऋण लिया। यह योजना एमएसएमई मंत्रालय (MSME) द्वारा ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिए शुरू की गई है। इस योजना के तहत बेरोज़गार युवाओं को उनका अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए 20 लाख रुपय से 50 लाख तक का लोन दिया जाता है।
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सुनील ने लोन के रुपयों से गड़खा मरीचा में मां नाम से राइस मिल शुरू कर दिया। वे इस राइस मिल में अभी 30 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इसमें गड़खा की 10 महिलाएं भी शामिल हैं। इनके मिल में काम करने वाले लोगों को 15 से 30 हजार रुपए वेतन मिलता है। मशीन संचालित करने के लिए चार कुशल कारीगर पंजाब के हैं। मधुबनी जिले के भी 10 कारीगर काम करते हैं। शेष कारीगर सारण जिले के हैं। सुनील ने बताया कि अब सारण जिले के भी कारीगर प्रशिक्षित हो गए हैं।


कुछ अलग करने की सोच ने सुनील कुमार सिंह को एक साधारण कर्मचारी से उद्यमी बना दिया। नौकरी छोड़ने के बाद सुनील सिंह ने खाद बीज की दुकान खोली और अब राइस मिल के संचालक हैं। इनके राइस मिल से निकला परमल एवं मंसूरी अरवा चावल पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मुजफ्फरपुर एवं पटना के मंडी में भेजा जाता है।
सुनील बताते हैं कि प्रतिवर्ष 2.50 करोड़ रुपए का कारोबार हो जाता है। सात महीने तक राइस मिल चलता है। इसमें प्रतिदिन 60 टन यानी 50 किलो का 1200 पैकेट चावल निकलता है, जिन्हें बाजारों में भेजा जाता है। सुनील का ऋण भी बैंक से चुकता हो गया है। उद्योग विभाग के महाप्रबंधक शीला कुमारी ने बताया कि यह राइस मिल देश के अन्य प्रदेशों से बेहतर है।


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