तंत्र के गण: विंग कमांडर बीएनपी सिंह ने आरटीआइ को बनाया हथियार, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे जंग



राजीव रंजन, छपरा। आरटीआइ (सूचना के अधिकार कानून) को हथियार बनाकर छपरा शहर के दहियावां निवासी सेवानिवृत विंग कमांडर डा. बीएनपी सिंह देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। अपने जीवन का 75 बसंत देख चुके हैं। एयर फोर्स में विंग कमांडर से सेवानिवृत्त डा.बीएनपी सिंह वेट्रन्स फोरम फार ट्रांसपरेंसी इन पब्लिक लाइफ संस्थान बनाकर न्याय की लड़ाई लड़ कर व्यवस्था को बदल दिये हैं।

वे अभी तक देश के तमाम प्रदेशों में उच्च न्यायालय व देश के सर्वोच्च न्यायालय में कुल 47 सार्वजनिक मामलों में याचिका दायर किये है। कईयों में न्याय दिला चुके है। इसमें समाज काे बहुत बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। आरटीआइ से भ्रष्टाचार के खिलाफ सबूत जुटाकर न्यायालय में वाद दायर कर दोषियों पर कार्रवाई करवाते हैं।

मूल रूप से छपरा के दहियावां निवासी सेवानिृत विंग कमांडर डा. बीएनपी सिंह 1977 में इंडियन एयर फोर्स में बतौर विंग कमांडर योगदान किये। 22 सालों तक एक चिकित्सक के रूप में सेवा देने के बाद उन्होंने 1999 में वोलेंटियरी रिटायरमेंट ले लिया। पुन: 2000 से 2006 तक इंडोनेशिया के पूर्वी तिमूर तथा झारखंड, छत्तीसगढ़ व मणिकपुर में डब्लूएचओ में रिजनल अफिसर के पद पर कार्य किये। इस अवधि में कई निर्णय समाज हित में दिये। उसके बाद 2007 में विवेकानंद अस्पताल मुरादाबाद में निदेशक रहे।
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2011 में आर्मी व एयर फोर्स के साथ मिलकर समाज हित की लड़ाई लड़ने के लिए वेट्रन्स फोरम फार ट्रांसपरेंसी इन पब्लिक लाइफ संस्थान की स्थापना की। 2012 के बाद इस संस्थान के अध्यक्ष के तौर पर देश के थल सेना अध्यक्ष रह चुके जनरल बीके सिंह रहे। उसके बाद डा. बीएनपी सिंह ने देश के कई बड़े मुद्दों को लेकर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में याचिका दायर किया और न्याय भी मिला। वह तमाम मुद्दों की लड़ाई का खर्च अपनी पेंशन से करते हैं।



-डा. बीएनपी सिंह ने 2015 में पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। इसमें कोर्ट ने 40 प्रतिशत से ऊपर और 50 प्रतिशत से नीचे वाले विद्यार्थियों के दाखिले का निर्णय सुनाया। 106 सीटें बढ़ गई।

उन्होंने स्वास्थ्य पर साइड इफेक्ट डालने वाली 344 दवाओं को प्रतिबंधित कराने को लेकर पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर किया। उसमें कोर्ट ने 24 ऐसे दवाओं को प्रतिबंधित करने का फैसला सुनाया।


2012 में बिहार में स्वास्थ्य बीमा योजना में बड़े पैमाने पर घोटाला की गई। उसमें बिहार में करीब 518 महिला व युवतियों का गर्भाशय बिना जरुरत के ही निकाल लिये गये या फिर फर्जी तरीके से निकला बताया गया। उच्च न्यायालय में याचिका दायर किये जाने के बाद आर्डर आया। उसके अनुसार 40 वर्ष से नीचे के उम्र के महिला को 2.50 लाख तथा अधिक उम्र वालों को 1.50 लाख मुआवजा दिलाया गया। दोषी चिकित्सक के क्लीनिकों पर आर्थिक दंड व कानूनी कार्रवाई की गई।


2016 में उन्होंने पटना हाईकोर्ट में जजों की कमी के कारण केस लंबित रहने के संदर्भ में याचिका दायर किया। उसमें कोर्ट के आर्डर पर 244 जजों की बहाली ली गई।

2017 में अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल कचरा का प्रबंधन नहीं होने की सूरत में डा. बीएनपी सिंह ने एनजीटी में एक याचिका दायर की है। उसमें बिहार के चीफ सेक्रेटरी भी हाजिर होकर जवाब दिये। इसमें करीब नौ हजार अस्पताल व क्लीनिक मापदंड पर नहीं होने पर प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने क्लोजर नोटिस थमाई है। इसमें आर्थिक दंड के भी प्रावधान किये गये है।


2016 में उन्होंने छपरा शहर का एक ऐतिहासिक मुगलकालीन नाला खनुआ नाला के अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ी। इसमें उन्होंने एनजीटी में याचिका दायर की। एनजीटी ने 286 दुकानों के अलावें सभी तरह के अतिक्रमण हटाकर मूल अवस्था में लाने का आदेश दिया है। उसके बाद नगर आवास विकास विभाग से सिवरेज सिस्टम के लिए 242 करोड़ व खनुआ नाला के लिए 30 करोड़ रुपये आवंटित किये गये है। उसका निर्माण भी शुरू हो गया है।

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