पिछले साल नवंबर महीने में चीन के हूबे प्रांत के वुहान से कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हुआ और चीन के दावे के मुताबिक अब तक उसके देश में कोरोना वायरस से 3,285 लोगों की मौत हुई. चीन में अब कोरोना वायरस के नए मामले लगातार गिरते जा रहे हैं और दो महीने तक लॉकडाउन के बाद कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित हूबे प्रांत में भी जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है. हालांकि, चीन से निकलकर कोरोना वायरस ने कई देशों में भयावह रूप धारण कर लिया है. इटली में जहां चीन से दोगुनी मौतें हो चुकी हैं, वहीं स्पेन और अमेरिका भी कोरोना वायरस की गंभीर चुनौती के सामने बेबस नजर आ रहे हैं.
इटली में कोरोना के संक्रमण से मौत का आंकड़ा 8000 के करीब पहुंच गया है और स्पेन में भी 4000 के करीब मौतें हुई हैं. ऐसे में, चीन में कोरोना वायरस से मौत के आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं.
चीन की कम्युनिस्ट सरकार की तरफ से दिए जाने वाले डेटा पर पूरी दुनिया शक करती रही है. चीन में कोरोना वायरस से जुड़े आंकड़े जारी करने में तीन हफ्तों की देरी की गई और संक्रमण फैलने के बाद भी बताने में देरी हुई. चीन की सूचना दबाने की पुरानी आदत का पहला शिकार वुहान के डॉक्टर वी लेनलियांग हुए जिन्होंने सबसे पहले रहस्यमय बीमारी के बारे में आगाह किया था. वुहान के अधिकारियों ने उनकी चेतावनी पर ध्यान देने के बजाय अफवाह फैलाने के आरोप में उनके खिलाफ समन जारी कर दिया था. फरवरी महीने में वायरस के संक्रमण से उनकी मौत हो गई.
एक सवाल और उठ रहा है कि चीन के हूबे प्रांत के बाहर क्या वाकई कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई मामला नहीं था जबकि वायरस एशिया से होते हुए यूरोप में फैल गया. अमेरिका का भी आरोप है कि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर सही सूचनाएं नहीं दीं. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा है कि कोरोना की महामारी से लड़ने के लिए चीन को पारदर्शिता बरतने और सही सूचना की जरूरत है. पॉम्पियो ने कहा कि चीन अब पूरी दुनिया के सामने अपनी छवि अच्छी करने के लिए मेडिकल सप्लाई भेजने का दिखावा कर रहा है. ये बात सच है कि इटली समेत कई देशों में चीन ने मेडिकल सप्लाई भेजकर मौके का फायदा उठाया और अब वहां उसे वायरस के लिए कसूरवार नहीं बल्कि मुश्किल घड़ी के दोस्त के तौर पर देखा जा रहा है.
चीन में शुरुआत से ही कोरोना वायरस को लेकर सूचना दबाने की कोशिश की गई और किसी भी तरह की बहस पर सेंसरशिप जारी रही. फॉरेन पॉलिसी की रिपोर्ट के मुताबिक, वायरस पर रिपोर्टिंग कर रहे तीन चीनी पत्रकार डिटेंशन से गायब हैं और उनका अब कुछ अता-पता नहीं है. चीन के सरकारी चैनल के एक पूर्व पत्रकार ने अपनी ही गिरफ्तारी का वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डाला था जिसे लाखों लोगों ने देखा. वायरस से निपटने में शी जिनपिंग की आलोचना पर ऐक्टिविस्ट शू झियोंग को भी सीक्रेट डिटेंशन में डाल दिया गया था.
चीन ने आधिकारिक आंकड़ों में कोरोना वायरस पर पूरी तरह विजय हासिल कर ली है. चीन में कोरोना वायरस के अब गिने-चुने मामले ही सामने आ रहे हैं जबकि एक महीने पहले ही यहां एक दिन में करीब 2000 नए केस आने का भी रिकॉर्ड बना था. वुहान समेत तमाम शहरों में उत्पादन पूरी तरह से शुरू करने और जनजीवन सामान्य करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. हालांकि, इस बीच तमाम स्थानीय और विश्लेषक जीरो कम्युनिटी ट्रांसमिशन पर शक जाहिर कर रहे हैं. उनका मानना है कि चीनी नेता संभवत: कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने के बजाय अर्थव्यवस्था को तरजीह दे रहे हैं. जहां एक तरफ लोग जोरदार टेस्टिंग, क्वारंटीन और सोशल डिस्टेंसिंग को चीन की कामयाबी का फार्मूला बता रहे हैं वहीं कुछ को संदेह है कि ये आंकड़े अधिकारियों के मनमुताबिक अच्छे बनाए गए हैं.
वुहान शहर के निवासी 26 वर्षीय वांग कहते हैं, मुझे चिंता हो रही है क्योंकि वुहान के भीतर अब भी बिना लक्षण वाले तमाम संक्रमित लोग हैं. जैसे ही लोग काम पर लौटेंगे, संक्रमण फिर से फैलना शुरू हो जाएगा. एक अन्य निवासी ने गार्जियन से कहा कि उन्हें इन आंकड़ों पर भरोसा नहीं है और ये महामारी इतनी आसानी से खत्म नहीं होने वाली है. सरकारी आंकड़ों पर सवाल खड़े करने वाले वुहान के वॉलंटियर के लेख पर एक इंटरनेट यूजर ने लिखा, कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति इन आंकड़ों पर संदेह ही करेगा.
हॉन्ग कॉन्ग के चैनल आरटीएचके की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वुहान के अस्पतालों ने उन मरीजों का टेस्ट करने से इनकार कर दिया है जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं. जापान के क्योडो न्यूज ने रिपोर्ट में वुहान के एक डॉक्टर के हवाले से लिखा है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौरे से पहले मामलों की संख्या से छेड़छाड़ की गई जिससे तमाम संक्रमित मरीजों को छोड़ना पड़ा.
वुहान में संक्रमण के नए आरोपों को लेकर सोशल मीडिया पर इतनी चर्चा होने लगी कि प्रशासन को इसी सप्ताह उन्हें खारिज करते हुए विस्तार से एक बयान जारी करना पड़ा. कोरोना वायरस की रिपोर्टिंग को लेकर एक सवाल बीजिंग के मरीजों की श्रेणियां बनाने को लेकर भी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और दक्षिण कोरिया जहां कोरोना वायरस में पॉजिटिव पाए गए हर शख्स को कन्फर्म केस में रखता है, वहीं चीन अपनी टैली में बिना लक्षण वाले संक्रमण को शामिल नहीं करता है.
आलोचकों का सवाल है कि कोरोना से रिकवर हुए मरीजों के फिर से पॉजिटिव पाए जाने पर उसकी गिनती क्यों नहीं की जा रही है जबकि वुहान के क्वारंटीन सेंटरों के डेटा के मुताबिक रिकवर हो चुके मरीजों के फिर से पॉजिटिव होने की संभावना 5 से 10 फीसदी होती है. हूबे प्रांत के अधिकारियों की दलील है कि चूंकि ये मरीज पहले ही गिनती में शामिल किए जा चुके हैं इसलिए इन्हें फिर से नए मामलों में नहीं शामिल किया जाएगा.
चाइनीज सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर चीनी मैगजीन कैक्सिन से कहा है कि ये निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि वुहान में संक्रमण पूरी तरह रुक गया है. अधिकारी ने ये भी कहा कि यहां हर रोज संक्रमण के लक्षण वाले दर्जन मामले आ रहे हैं.