बाल कविता: गर्मी की छुट्टी में दोनों चलकर मजे उड़ाएंगे

चींटी एक आई पूरब से, एक आ गई पश्चिम से। हुई बात कानों कानों में, रुकी जरा दोनों थम के। बोली एक, कहां जाती हो, कहीं नहीं दाना-पानी। चलें वहां पर जहां हमारे, रहते हैं नाना-नानी। गर्मी की छुट्टी है दोनों, चलकर मजे उड़ाएंगे। नानाजी से अच्छा वाला, बर्गर हम मंगवाएंगे। कहा दूसरी ने.पागल हो। वहां नहीं हमको जाना। हाथी घूम रहा गलियों में, चलकर उसको चमकाना। 'घुसते अभी सूंड में तेरी, यह कहकर धमकाएंगे। भागेगा वह इधर-उधर तो, ताली खूब बजाएंगे।

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