दरभंगा । दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिग में प्लेसमेंट की गति काफी धीमी है। इस कारण यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को भारी परेशानी हो रही है। याद रहे कि 2008 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कॉलेज का उद्घाटन किया था। इस कॉलेज को आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी पटना से संबद्ध प्राप्त है। कॉलेज को पहले जगन्नाथ मिश्रा प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में जाना जाता था। 2008 में इस कॉलेज का नया नाम दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिग दिया गया। इंजीनियरिग कॉलेज में सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री दी जाती है। कॉलेज में प्रति कोर्स लगभग 65 और कुल 252 छात्र-छात्राओं का नामांकन होता है। बता दें कि 2008 से अबतक कॉलेज से आठ बैच पास आउट हुई है। इसमें लगभग 2016 छात्र-छात्राएं शामिल हुए हैं। लेकिन अबतक सिर्फ 27 छात्रों का ही प्लेसमेंट हुआ है। ----------- 2018 में आई पहली कंपनी नहीं हुआ एक भी प्लेसमेंट
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कॉलेज में पहली बार वर्ष 2018 में लेट्सवेंचर नाम की एक कपंनी प्लेसमेंट के लिए पहुंची थी। लेकिन कुछ मानकों के कारण इंजीनियरिग कॉलेज से एक भी छात्रओं का प्लेसमेंट नहीं हो सका। कंपनी खाली हाथ चली गई थी। वहीं 2018-19 में कुल नौ और 2019-20 में 18 छात्र-छात्राओं का प्लेसमंट हुआ। 2008 से लेकर अबतक इंजीनियरिग कॉलेज से मात्र 27 छात्रों का ही प्लेसमेंट हो सका है। ---------------
2018 तक शून्य रहा कैंपस प्लेसमेंट
इंजीनियरिग कॉलेज में 2018 से पूर्व एक भी छात्रों का प्लेसमेंट नहीं हुआ था। विगत दो वर्षों के अंदर कॉलजे ने कंपनियों के मानकों को पूरा की है। 2019 और 2020 में कुल 27 छात्रों का प्लेसेमेंट हुआ है। बता दें कि देशभर में चार हजार से अधिक पंजीकृत इंजीनियरिग संस्थान हैं, जो प्रति वर्ष अनुमानित दस लाख इंजीनियर तैयार करते हैं। लेकिन उनमें से केवल आधे ही कैंपस प्लेसमेंट के जरिये नौकरी पाने में सफल होते हैं।
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Posted By: Jagran
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